Bhagavad Geeta chapter 13

 

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Ksetra-KsetrajnayVibhagYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 13 

क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग ~ अध्याय तेरह

अथ त्रयोदशोsध्याय: श्रीभगवानुवाच

 

ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय

 

 

Bhagavad Geeta chapter 13अर्जुन उवाच

प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च ।

एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ৷৷13.1৷৷

 

 

अर्जुनःउवाच-अर्जुन ने कहा; प्रकृतिम्-भौतिक शक्ति; पुरुषम्-भोक्ता; च -और; एव–वास्तव में; क्षेत्रम्-कर्म क्षेत्र; क्षेत्रज्ञम्-क्षेत्र को जानने वाला; एव-वास्तव में; च-भी; एतत्-यह सारा; वेदितुम-जानने के लिए; इच्छामि-इच्छुक हूँ; ज्ञानम्-ज्ञान; ज्ञेयम्-ज्ञान का लक्ष्यः च-और; केशव-केशी नाम के असुर को मारने वाले अर्थात श्रीकृष्ण;

 

 

अर्जुन ने कहा-हे केशव! मैं यह जानने का इच्छुक हूँ कि प्रकृति क्या है और पुरुष क्या है तथा क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ क्या है? मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि सच्चा ज्ञान क्या है और इस ज्ञान का लक्ष्य क्या है?॥13.1॥

 

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