Bala Mukundashtakam with Hindi and English meaning|श्री बालमुकुन्द अष्टकम| Bala-Mukundashtakam बालमुकुन्दाष्टकम्| Shri Baal Mukund Ashtakam with hindi meaning | Sri Bala Mukundashtakam with English Meaning| Bala Mukund Ashtakam Hindi and English Lyrics | श्री बालमुकुन्द अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तं| Benefits of reciting balamukundashtakam | बाल मुकुंद अष्टकम पढ़ने के लाभ
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करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तं
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥1॥
मेरा मन उस बाल कृष्ण का स्मरण करता है जिसने वट वृक्ष (बड़ का पेड़) के पत्ते पर लेटे हुए अपने कमल के समान कोमल पांवों को अपने कमल के समान हाथ से पकड़ा हुआ है और पांवों के अंगूठे को कमल के सदृश्य मुख में रखा हुआ है। ऐसी अवस्था में बाल कृष्ण पत्ते पर सो रहे हैं और विश्राम कर रहे हैं। मैं (साधक) उस बाल स्वरुप ईश्वर को अपने मन में धारण करता हूँ ॥1॥
Kararavindena Padaravindam Mukharavinde Viniveshayantam
Vatasya Patrasya Pute Shayanam Balam Mukundam Manasa Smarami.1
My mind remembers that child Krishna who is lying on the leaf of banyan tree , holding his lotus-like soft feet with His lotus-like hands and placing the big toe of His feet in His lotus-like mouth. In such a state, Child Krishna is sleeping and resting on a leaf. I (the seeker) hold that childlike God in my mind.॥1॥
संहृत्य लोकान्-वटपत्रमध्ये शयनं-आद्यन्तविहीन रूपम्
सर्वेश्र्वरम् सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥2॥
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद को याद करता हूँ जो समस्त लोकों को बड़ (वट) के पत्तों में बाँधने वाले हैं, जो बाल कृष्ण संसार को अपने में समाहित कर लेते हैं , जो बरगद के पत्ते के मध्य सोकर विश्राम करते हैं , उनका यह रूप आदि और अंत से परे है , जिनका न कोई आदि है न अंत , श्री कृष्ण सभी के स्वामी हैं , सभी के ईश्वर हैं , जो सभी लोगों के संताप को दूर करने और कल्याण के लिए अवतार लेते हैं ॥2॥
Samhrutya Lokan-Vatapatramadhye Shayanam-Adyantavihina Rupam
Sarveshwaram Sarvahitavataram Balam Mukundam Manasa Smarami.2
I remember in my mind that child Mukund who binds all the worlds in the banyan leaves, who absorbs the world within himself, who rests by sleeping among the banyan leaves, This form is beyond beginning and end, who has no beginning and no end, Shri Krishna is the Lord of all, the God of all, who incarnates for the relief and welfare of all people.॥2॥
इन्दीवर-श्यामल-कोमलाङ्गं इन्द्रादि-देवार्चित-पादपद्मं
संतानकल्प-द्रुममं-आश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥3॥
मैं अपने मन में उस बालक मुकुंद को याद करता हूँ , जिसका शरीर नीले कमल के समान गहरा नीला और कोमल है, जिसके चरण कमलों की पूजा इंद्र और अन्य देवता करते हैं, जो बालकृष्ण अपनी शरण में आने वालों के लिए मनोकामना पूर्ण करने वाले कल्पतरु वृक्ष के समान है। श्री कृष्ण के चरण कमल में आश्रय पा लेने से समस्त कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं ॥3॥
Indira-Shyamala-Komalangam Indradi-Devarchita-Padapadmam
Santanakalpa-Drumam-Ashritanam Balam Mukundam Manasa Smarami.3
I remember in my mind that child Mukund, whose body is dark blue and soft like a blue lotus, whose lotus feet are worshiped by Indra and other gods, who is like the Kalpataru tree fulfilling the wishes of those who take refuge in Him. By taking shelter in the lotus feet of Shri Krishna, all the wishes are fulfilled.॥3॥
लम्बालकं लंबित-हारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कित-दन्तपङ्क्तिं
बिम्बाधरं चारुविशाल-नेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥4॥
मैं अपने मन में बालक मुकुंद का स्मरण करता हूँ , जिसके लंबे और घुंघराले बाल हैं , जो बालकृष्ण आठ रत्नों से युक्त लम्बी माला धारण किये हैं , जिसके दांतों की पंक्ति श्रंगार लीला की चंचल मुस्कान से सुशोभित हैं , जिसके होंठ बिम्ब फल की भांति लाल हैं , जिसकी आंखें सुन्दर और विशाल हैं ॥4॥
Lambalakam Lambita-Harayashtim Shrungara-Leelankita-Dantapanktim
Bimbadharam Charuvishala-Netram Balam Mukundam Manasa Smarami.4
I remember in my mind the child Mukund, who has long and curly hair, who is wearing a long garland of eight jewels, whose rows of teeth are adorned with the playful smile of Shringara Leela, whose lips are red like the Bimba fruit, Whose eyes are beautiful and huge.॥4॥
शिक्ये निधायाद्य-पयोदधीनि बहिर्गतायं व्रजनायिकायां
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥5॥
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद को स्मरण करता हूँ जो जब बृज की गोपिकाएं घर से बाहर चली जाती हैं तब छींके पर टंगे हुए मटकों में से दूध और दही चुराते हैं और अपनी इच्छा अनुसार दही माखन खाने के बाद वे सोने का नाटक करते हैं ॥5॥
Shikye Nidhayadya-Payodadhini Bahirgatayam Vrajanayikayam
Bhuktva Yatheshtam Kapatena Suptam Balam Mukundam Manasa Smarami.5
I remember in my mind that child Mukund who, when the Gopikas of Brij go out of the house, steals milk and curd from the pots hanging on the eaves and after eating curd and butter as per His wish, he pretends to sleep. ॥5॥
कलिन्दजान्त-स्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तं
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥6॥
मैं उस बाल मुकुंद का अपने मन में स्मरण करता हूँ जो कलिंद पर्वत से निकलने वाली कालिंदी ( यमुना नदी ) में रहने वाले कालिया नाग के फन पर प्रसन्नतापूर्वक नृत्य करते हैं , कालिया नाग की पूँछ को अपने हाथ में पकडे हुए बाल कृष्ण का मुख शरद ऋतु के चन्द्रमा की भाँति सुशोभित हो रहा है ॥6॥
Kalindajanta-Sthitakaliyasya Phanagrarange Natanapriyantam
Tatpucchahastam Sharadinduvaktram Balam Mukundam Manasa Smarami.6
I remember in my mind that child Mukund who dances happily on the hood of Kaliya Naag living in Kalindi (Yamuna River) originating from Kalind mountain , the face of child Krishna holding the tail of Kaliya Naag in His hand is looking beautiful like the moon of the winter season ॥6॥
उलूखले बद्धं-उदारशौर्यम् उत्तुङ्ग-युग्मार्जुन-भन्गलीलं
उत्पुल्ल-पद्मायत-चारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥7॥
मैं अपने मन में उस बालक मुकुंद को स्मरण करता हूँ जिनको उनकी माता के द्वारा ऊखल में बाँध दिया गया था किन्तु उनका मुख शूरवीर के समान चमक रहा है , जिन्होंने अपने शरीर से अर्जुन के दो विशाल वृक्षों के जोड़े को उखाड़ने की दिव्य लीला खेली , जिनकी विशाल आँखें खिले हुए कमल की पंखुड़ियों के समान सुन्दर हैं ॥7॥
Ulukhale Baddham-Udarashauryam Uttunga-Yugmarjuna-Bhangaleelam
Utpulla-Padmayata-Charunetram Balam Mukundam Manasa Smarami.7
I remember in my mind that child Mukund, who was tied with a mortar by his mother but His face was shining like a brave one, who played the divine play of uprooting a pair of two huge trees of Arjuna with His body, Whose huge eyes are as beautiful as the petals of a blooming lotus ॥7॥
आलोक्य मातुर्मुखमादरेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षं
सच्चिन्मयं देवं-अनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥8॥
मैं अपने मन में बालक मुकुंद को सुमिरन करता हूँ जो दुग्धपान के समय अपनी माता को आदरपूर्वक देखते हैं, स्तनपान करते समय उनकी आंखें कमल के समान सुन्दर लग रही हैं जैसे कोई कमल झील के किनारे पर स्थित हो , जिनका रूप सच्चिदानंदमय और अनंत है ॥8॥
Alokya Maturmukhamadarena Stanyam Pibantam Sarasiruhaksham
Sacchinmayam Devam-Anantarupam Balam Mukundam Manasa Smarami.8
I remember in my mind the child Mukund who looks at His mother with respect while breastfeeding, His eyes look as beautiful as lotus while breastfeeding, as if a lotus is situated on the bank of a lake, Whose form is truly blissful and infinite. ॥8॥
॥ इति श्री बिल्वमङ्गलठाकुरविरचितम् बालमुकुन्दाष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
बालमुकुन्दाष्टकं स्तोत्र पढ़ने के लाभ
बाल मुकुंद अष्टकम का पाठ करने से बालकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
बालमुकुन्दाष्टकम् का पाठ करने से भक्त के जीवन से अशांति , भय और तनाव से मुक्ति मिलती है । आतंरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है ।
परिवार और जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है ।
धन धान्य की प्राप्ति, कीर्ति में वृद्धि होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं ।
व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की समस्याएं और विपत्तियाँ दूर होती हैं ।
व्यक्ति सभी प्रकार के नकारात्मक सोच और बुरे विचारों से दूर रहता है।
बालमुकुन्दाष्टकम् स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हे और आत्मविश्वास बढ़ता है ।
व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों का आसानी से सामना कर सकता है और विजय प्राप्त करता है ।
By reciting Bal Mukund Ashtakam, all the wishes are fulfilled by the grace and blessings of Bal Krishna.
Reciting Balamukundashtakam provides relief from unrest, fear and stress from the life of the devotee. One attains inner and mental peace.
Happiness, peace and prosperity come in family and life.
There is an increase in wealth and fame and all the troubles go away.
All types of problems and adversities are removed from a person’s life.
The person stays away from all types of negative thinking and bad thoughts.
Regular recitation of Balamukundashtakam Stotra brings positive energy to the person and increases self-confidence.
A person can easily face the toughest situations and achieve victory.
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