रघुनाथ दास गोस्वामी द्वारा रचित राधा कुंड अष्टकम | श्री राधाकुण्ड अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे| Sri Radhakunda Ashtakam Sanskrit Lyrics ॥ श्रीराधाकुण्डाष्टकम् | Shri Radha Kund Ashtakam (श्री राधा कुण्ड अष्टकम) | श्री राधा कुंड अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | Shri Radha kund Ashtakam with hindi meaning | Shri Radha kunda ashtakam with english meaning | Shri Radha Kunda Ashtakam English Lyrics | Shri Radha Kunda Ashtakam Hindi Lyrics | Shri Radha Kunda Ashtakam composed by Shri Raghunath Goswami
Subscribe on Youtube:The Spiritual Talks
Follow on Pinterest:The Spiritual Talks
भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरधारी की परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि नि:संतान दंपत्ति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां दंपत्ति एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है। अहोई अष्टमी का यह पर्व यहां पर प्राचीनकाल से मनाया जाता है। इस दिन पति और पत्नी दोनों ही निर्जला व्रत रखते हैं और मध्य रात्रि में राधाकुंड में डूबकी लगाते हैं तो ऐसा करने पर उस दंपत्ति के घर में बच्चे की किलकारियां शीघ्र ही गूंज उठती है। इतना ही नहीं जिन दंपत्तियों की संतान की मनोकामना पूर्ण हो जाती है वह भी अहोई अष्टमी के दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आता है। माना जाता है कि यह प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है। इस प्रथा से जुड़ी एक कथा का पुराणों में भी वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है – जिस समय कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप लेकर श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया और उन्हें मारने के लिए आया। भगवान श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पहचान लिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पकड़कर जमीन पर फेंक दिया और उसका वध कर दिया। यह देखकर राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है। इस पाप से मुक्ति के लिए उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिएं। राधा जी की बात सुनकर श्री कृष्ण ने नारद जी से इस समस्या के समाधान के लिए उपाय मांगा। देवर्षि नारद ने उन्हें उपाय बताया कि सभी तीर्थों का आह्वाहन करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन सभी तीर्थों के जल को एक साथ मिलाकर स्नान करें जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। नारद जी के कहने पर श्री कृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान करके पाप मुक्त हो गए। इस कुंड को कृष्णकुंड कहा जाता है जिसमें स्नान करके श्री कृष्ण गौ हत्या के पाप से मुक्त हुए थे। माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था। नारद जी के कहने पर ही श्री कृष्ण ने यह कुंड अपनी बांसुरी से खोदा था और सभी तीर्थों से उस कुंड में आने की प्रार्थना की जिसके बाद सभी तीर्थ उस कुंड में आ गए।
इसके बाद श्री कृष्ण के कुंड को देखकर राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड खोदा । जब श्री कृष्ण ने उस कुंड को देखा तो उसमें प्रतिदिन स्नान करने और उनके द्वारा बनाए गए कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध होने का वरदान दिया जिसके बाद यह कुंड राधाकुंड के नाम से प्रसिद्ध हो गया। पुराणों के अनुसार अहोई अष्टमी तिथि के दिन ही इन कुंडो का निर्माण हुआ था जिसके कारण अहोई अष्टमी पर इस कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। कृष्ण कुंड और राधा कुंड की अपनी-अपनी विशेषता है। कृष्ण कुंड का जल दूर से देखने पर काला और राधा कुंड का जल दूर से देखने पर सफेद दिखता है।
वृषभदनुजनाशात् नर्मधर्मोक्तिरङ्गैः,
निखिलनिजतनूभिर्यत्स्वहस्तेन पूर्णम् ।
प्रकटितमपि वृन्दारण्यराज्ञा प्रमोदैः,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ १॥
अत्यंत सुगंधित राधा-कुंड, जो वृषभासुर की मृत्यु के बाद गोपियों के कई उपहासजनित शब्दों से प्रेरित होकर, वृंदावन वन के राजा ने प्रसन्नतापूर्वक बनाया और स्वयं अपने हाथों से उसे भरा , मेरा आश्रय बने।।1।।
vṛṣabha-danuja-nāśān narma-dharmokti-rańgair
nikhila-nija-sakhībhir yat sva-hastena pūrṇam
prakaṭitam api vṛndāraṇya-rājñā pramodais
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.1
May very fragrant Radha’-kunda, which, prodded by the gopis’ many joking words after Vrishabhasura’s death, the king of Vrindavana forest happily built and filled with His own hand, be my shelter.1
व्रजभुवि मुरशत्रोः प्रेयसीनां निकामैः,
असुलभमपि तूर्णं प्रेमकल्पद्रुमं तम् ।
जनयति हृदि भूमौ स्नातुरुच्चैः प्रियं यत्,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ २॥
बहुत प्रिय और सुगंधित राधा-कुंड, जो इसमें स्नान करने वाले के लिए तुरंत हृदय लोक में शुद्ध प्रेम का एक इच्छावृक्ष बनाता है, जो व्रज में भगवान कृष्ण के प्रियतमों के बीच भी दुर्लभ है, मेरा आश्रय बने ।।2।।
vraja-bhuvi mura-śatroḥ preyasīnāḿ nikāmair
asulabham api tūrṇaḿ prema-kalpa-drumaḿ tam
janayati hṛdi bhūmau snātur uccair priyaḿ yat
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.2
May very dear and fragrant Radha-kunda, which, for one who bathes in it immediately creates in the land of the heart a desire tree of pure love rare even among the gopi beloveds of Lord Krsna in Vraja, be my shelter.2
अघरिपुरपि यत्नादत्र देव्याः प्रसाद-,
प्रसरकृतकटाक्षप्राप्तिकामः प्रकामम् ।
अनुसरति यदुच्चैः स्नानसेवानुबन्धैः,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ३॥
बहुत प्रिय और सुगंधित राधा-कुंड, जहां अपनी रानी ( राधा ) की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए तड़पते हुए, भगवान कृष्ण लगन से अपने स्नान परिचारकों का अनुसरण करते हैं, मेरा आश्रय बनें।।3।।
agha-ripur api yatnād atra devyāḥ prasāda-
prasara-kṛta-katākṣa-prāpti-kāmaḥ prakāmam
anusarati yad ucaaiḥ snāna-sevānubandhais
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.3
May very dear and fragrant Radha-kunda, where, yearning to attain the merciful sidelong glance of His queen, Lord Krsna diligently follows Her bathing attendants, be my shelter.3
व्रजभुवनसुधांशोः प्रेमभूमिर्निकामं,
व्रजमधुरकिशोरीमौलिरत्नप्रियेव ।
परिचितमपि नाम्ना यच्च तेनैव तस्याः,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ४॥
बहुत सुगंधित राधा-कुंड, जिसका नाम एक किशोरी ( राधा ) के नाम पर रखा गया है, जो उसके लिए प्रेम का क्षेत्र है जो व्रज के चंद्रमा हैं , एक किशोरी ( राधा ) जो व्रज की मधुर किशोरियों के मुकुट में जड़ित सबसे कीमती मणि की तरह है, मेरा आश्रय हो।।4।।
vraja-bhuvana-sudhāḿśoḥ prema-bhūmir nikāmaḿ
vraja-madhura-kiśorī-mauli-ratna-priyeva
paricitam api nāmnā yā ca tenaiva tasyās
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.4
May very fragrant Radha’-kunda, which is named after a girl who is a realm of love for He who is the moon of Vraja, a girl who is like the most precious jewel in the crown of the sweet girls of Vraja, be my shelter.4
अपि जन इह कश्चिद्यस्य सेवाप्रसादैः,
प्रणयसुरलता स्यात्तस्य गोष्ठेन्द्रसूनोः ।
सपदि किल मदीशा दास्यपुष्पप्रशस्या,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ५॥
राधा-कुंड की सेवा से प्राप्त कृपा , व्रज के राजकुमार ( कृष्ण ) के लिए शुद्ध प्रेम की दिव्य बेल को अंकुरित करती है, जो मेरी रानी ( राधा ) की सेवा के फूल उगाने के लिए प्रसिद्ध है। वह परम सुगन्धित राधा-कुण्ड मेरा आश्रय हो।।5।।
api jana iha kaścid yasya sevā-prasādaiḥ
praṇaya-sura-latā syāt tasya goṣṭhendra-sūnoḥ
sapadi kila mad-īśā-dāsya-puṣpa-praśasyā
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.5
The mercy obtained by serving Radha’-kunda makes the celestial vine of pure love for the prince of Vraja, which is famous for bearing the flowers of service to my queen, sprout. May that very fragrant Radha’-kunda be my shelter.5
ततमधुरनिकुञ्जाः क्लृप्तनामान उच्चैः,
निजपरिजनवर्गैः संविभज्याश्रितास्तैः ।
मधुकररुतरम्या यस्य राजन्ति काम्याः,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ६॥
बहुत सुगंधित राधा-कुंड, जिसके तट पर भौंरों की मीठी आवाज़ से भरे कई उत्कृष्ट और आकर्षक वन उपवन हैं और प्रत्येक का नाम श्री राधा की सखियों में से एक के नाम पर रखा गया है, मेरा आश्रय बने ।।6।।
taṭa-madhura-nikuñjaḥ klpta-nāmāna ucchair
nija-parijana-vargaiḥ samvibhajyāśritas taiḥ
madhukara-ruta-ramyā yasya rājanti kāmyās
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.6
May very fragrant Radha-kunda, on the shores of which are many splendid and charming forest groves filled with the sweet sounds of bumblebees and each named after one of Sri Radha’s friends, be my shelter.6
ततभुवि वरवेद्यं यस्य नर्मातिहृद्यं,
मधुरमधुरवार्तां गोष्ठचन्द्रस्य भङ्ग्या ।
प्रथयितुमित ईशप्राणसख्यालिभिः सा,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ७॥
बहुत सुगंधित राधा-कुंड, जिसके तट पर, एक सुखद आंगन में राधा रानी और उसकी सखियाँ भगवान कृष्ण के साथ मधुर उपहास करती हैं, जो कि व्रज के चंद्रमा हैं, मेरा आश्रय बने।।7।।
taṭa-bhuvi vara-vedyāḿ yasya narmāti-hṛdyāḿ
madhura-madhura-vārtāḿ goṣṭha-candrasya bhańgyā
praṭhayati mitha īśā prāṇa-sakhyālibhiḥ sā
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.7
May very fragrant Radha-kunda, on the shore of which, in a pleasant courtyard Queen Radha and Her friends sweetly joke with Lord Krsna, the moon of Vraja, be my shelter.7
अनुदिनमतिरङ्गैः प्रेममत्तालिसङ्घैः,
वरसरसिजगन्धैः हारिवारिप्रपूर्णे ।
विहरत इह यस्मन् दम्पती तौ प्रमत्तौ,
तदतिसुरभि राधाकुण्डमेवाश्रयो मे ॥ ८॥
बहुत सुगंधित राधा-कुंड, जहां भावुक दिव्य-युगल प्रतिदिन आकर्षक कमल से सुगंधित जल में अपने भावुक सखाओं के साथ खेलते हैं, मेरा आश्रय हो ।।8।।
anudinam ati-rańgaiḥ prema-mattāli-sańghair
vara-sarasija-gandhair hāri-vāri-prapūrṇe
viharata iha yasmin dam-patī tau pramattau
tad ati-surabhi rādhā-kuṇḍam evāśrayo me.8
May very fragrant Radha-kunda, where the passionate divine couple daily plays with Their passionate friends in the charming lotus-scented water, be my shelter.8
अविकलां अति देव्यास चारु
परिपठति तदियोल्लसि दास्यार्पितात्मा
अचिरम इह शरीरे दरसयत्येव तस्मै
मधु रिपुर अति मोदैह स्लिस्यमानाम प्रियं तं।।9।।
जो राधा रानी की सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित है और जो प्रसन्नता से उनके कुंड का वर्णन करने वाले इन आठ सुंदर छंदों को पढ़ता है, यहां तक कि इस वर्तमान शरीर में भी भगवान कृष्ण अपने प्रिय को दिखाते हैं क्योंकि वह खुशी से उन्हें गले लगाते हैं।।9।।
avikalam ati devyāś chāru kuṇḍāṣṭakaḿ yaḥ
paripaṭhati tadīyollāsi-dāsyārpitātmā
achiram iha śharīre darśayaty eva tasmai
madhu-ripur ati-modaiḥ śliṣyamāṇāḿ priyāḿ tām.9
To one who is completely dedicated to Queen Radha’s service and who happily reads these eight beautiful verses describing Her lake, even in this present body Lord Krsna shows His beloved as he happily embraces Her.9
। इति राधाकुण्डाष्टकं समाप्तम् ।
Be a part of this Spiritual family by visiting more spiritual articles on:
For more divine and soulful mantras, bhajan and hymns:
Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks
For Spiritual quotes , Divine images and wallpapers & Pinterest Stories:
Follow on Pinterest: The Spiritual Talks
For any query contact on:
E-mail id: thespiritualtalks01@gmail.com