हनुमान कृत श्रीराम स्तुति

 

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हनुमान कृत श्रीराम स्तुति | Hanuman Kruta Sri Ram Stuti | स्कन्दपुराणम्/खण्डः ३ (ब्रह्मखण्डः)/सेतुखण्डः/अध्यायः ४६ | नमो रामाय हरये विष्णवे प्रभविष्णवे

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हनुमान कृत श्रीराम स्तुति

 

 

हनुमान कृत श्रीराम स्तुति

 

नमो रामाय हरये विष्णवे प्रभविष्णवे।

आदिदेवाय देवाय पुराणाय गदाभृते।।1।।

 

विष्टरे पुष्पके नित्यं निविष्टाय महात्मने।

प्रहष्ट वानरानीकजुष्टपादाम्बुजाय ते।।2।।

 

निष्पिष्ट राक्षसेन्द्राय जगदिष्टविधायिने।

नमः सहस्त्रशिरसे सहस्त्रचरणाय च।।3।।

 

सहस्त्राक्षाय शुद्धाय राघवाय च विष्णवे।

भक्तार्तिहारिणे तुभ्यं सीतायाः पतये  नमः।।4।।

 

हरये नारसिंहाय दैत्यराजविदारिणे।

नमस्तुभ्यं वराहाय दन्ष्ट्रोद्धृतवसुन्धर।।5।।

 

त्रिविक्रमयाय भवते बलियज्ञविभेदिने।

नमो वामन रूपाय नमो मन्दरधारिणे।।6।।

 

नमस्ते मत्स्यरूपाय त्रयीपालनकारिणे।

नमः परशुरामाय क्षत्रियान्तकराय ते।।7।।

 

नमस्ते राक्षसघ्नाय नमो राघवरूपिणे।

महादेवमहाभीममहाकोदण्डभेदिने।।8।।

 

क्षत्रियान्तकरक्रूरभार्गवत्रास​कारिणे।

नमोस्त्वहल्यासंतापहारिणे चापधारिणे।।9।।

 

नागायुतबलोपेतताटकादेहहारिणे।

शिलाकठिनविस्तारवालिवक्षोविभेदि​ने।।10।।

 

नमो मायामृगोन्माथकारिणेsज्ञानहारिणे।

दशस्यन्दनदु:खाब्धिशोषणागत्स्यरूपिणे।।11।।

 

अनेकोर्मिसमाधूतसमुद्रमदहारिणे।

मैथिलीमानसाम्भोजभानवे लोकसाक्षिणे।।12।।

 

राजेन्द्राय नमस्तुभ्यं जानकीपतये हरे।

तारकब्रह्मणे तुभ्यं नमो राजीवलोचन।।13।।

 

रामाय रामचन्द्राय वरेण्याय सुखात्मने।

विश्वामित्रप्रियायेदं नमः खरविदारिणे।।14।।

 

प्रसीद देवदेवेश भक्तानामभयप्रद।

रक्ष मां करुणासिन्धो रामचन्द्र नमोsस्तु ते।।15।।

 

रक्ष मां वेदवचसामप्यगोचर राघव।

पाहि मां कृपया राम शरणं त्वामुपैम्यहम्।।16।।

 

रघुवीर महामोहमपाकुरु ममाधुना।

स्नाने चाचमने भुक्तौ जाग्रत्स्वप्नसुषुप्तिषु।।17।।

 

सर्वावस्थासु सर्वत्र पाहि मां रघुनन्दन।

महिमानं तव स्तोतुं कः समर्थो जगत्त्रये।।18।।

 

त्वमेव त्वन्महत्त्वं वै जानासि रघुनंदन ।

इति स्तुत्वा वायुपुत्रो रामचंद्रं घृणानिधिम् ।।19।।

 

सीतामप्यभितुष्टाव भक्तियुक्तेन चेतसा ।

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।।20।।

 

दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानामिष्टदायिनीम् ।

विदेहराजतनयां राघवानंदकारिणीम् ।।21।।

 

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।

पौलस्त्यैश्वर्यसंहर्त्रीं भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ।।22।।

 

पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ।।23।।

 

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्य हम् ।

प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ।।24।।

 

नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वांगसुंदरीम् ।

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ।।25।।

 

पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम् ।

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ।।26।।

 

आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरीं सतीम् ।

नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।

सीतां सर्वानवद्यांगीं भजामि सततं हृदा ।।27।।

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