श्री सूक्त अर्थ सहित – Sri Suktam Path in Hindi with Meaning

 

Contents

Shri suktam with hindi meaning | श्री सूक्त हिन्दी अर्थ सहित | श्री सूक्त हिंदी अर्थ के साथ | Sri Suktam in Hindi | सुख समृद्धि और सफलता के लिए महालक्ष्मी का पाठ | Sri Suktam | श्री सूक्त | Sri Suktam: श्री सूक्त का पाठ हिंदी अर्थ सहित | श्री सूक्त अर्थ सहित – Sri Suktam Path in Hindi with Meaning | ऋग्वेद वर्णित दारिद्रय नाशक श्री सूक्त हिंदी अर्थ सहित | Shri Sookt | Sri suktam hindi meaning

Subscribe on Youtube:The Spiritual Talks

Follow on Pinterest:The Spiritual Talks

 

 

Shri suktam with hindi meaning

श्री सूक्त हिन्दी अर्थ सहित

 

 

Shri suktam with hindi meaning

 

 

श्री सूक्त में पंद्रह ऋचाएं हैं । माहात्म्य सहित सोलह ऋचाएं मानी गयी हैं । किसी भी स्तोत्र का बिना माहात्म्य के पाठ करने से फल की प्राप्ति नहीं होती ।

श्री सूक्त के 15 मन्त्रों का इस क्रम से विनियोग किया जाता है । 

1- आवाहन 2- आसन 3- पाद्य 4- अर्घ्य 5- आचमन 6- स्नान 7- वस्त्र 8- भूषण 9- गंध 10- धूप 12- दीप 13- नैवेद्य 14- प्रदक्षिणा 15- उद्वासन

 

 

॥ अथ श्री सूक्त मंत्र पाठ ॥

 

। आवाहन ।

 

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥१॥

 

 हे जातवेद (सर्वज्ञ) अग्निदेव ! सुवर्ण के रंगवाली, सोने और चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्नकांति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को मेरे लिये आवाहन करो॥१॥

 

। आसन ।

 

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।

यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥

 

हे जातवेद अग्ने ! उन लक्ष्मी देवी को, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं सोना, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि को प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आवाहन करो ॥२॥

 

। पाद्य ।

 

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्।

श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥३॥

 

जिन देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं तथा जो हस्तिनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आवाहन करता हूँ; लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों ॥३॥

 

। अर्घ्य ।

 

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां

ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।

पद्मेस्थितां पद्मवर्णां

तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥४॥

 

जो साक्षात ब्रह्मरूपा, मंद-मंद मुसकराने वाली, सोने के आवरण से आवृत, दयार्द्र, तेजोमयी, पूर्णकामा, स्वयं पूर्णकाम होने के कारण अपने भक्तों के नाना प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करने वाली और उन पर अनुग्रह करने वाली, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ आवाहन करता हूँ ॥४॥

 

। आचमन ।

 

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं

श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।

तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये

अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥५॥

 

 मैं चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्तिवाली, सुन्दर द्युतिशालिनी, यश से दीप्तिमती, स्वर्गलोक में देवगणों के द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मीदेवी की शरण ग्रहण करता हूँ। मेरी दरिद्रता दूर हो जाय। मैं आपको शरण्य के रूप में वरण करता हूँ ॥५॥

 

। स्नान ।

 

आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो

वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।

तस्य फलानि तपसा नुदन्तु

या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥६॥

 

हे सूर्य के समान प्रकाशस्वरूपे ! तुम्हारे ही तप से वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। उसके फल हमारे बाहरी और भीतरी दारिद्र को दूर करें ॥६॥

 

 

श्री सूक्त अर्थ सहित – Sri Suktam Path in Hindi with Meaning

 

 

। वस्त्र ।

 

उपैतु मां देवसखः

कीर्तिश्च मणिना सह।

प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्

कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥७॥

 

 देवि ! देवसखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हों अर्थात मुझे धन और यश की प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र में उत्पन्न हुआ हूँ, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें ॥७॥

 

। भूषण ।

 

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।

अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥८॥

 

लक्ष्मी की ज्येष्ठ बहिन अलक्ष्मी (दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी) का, जो क्षुधा और पिपासा से मलिन और क्षीणकाय रहती हैं, मैं नाश चाहता हूँ। देवि ! मेरे घर से सब प्रकार के दारिद्र और अमंगल को दूर करो ॥८॥

 

। गंध ।

 

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।

ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥९॥

 

जो दुराधर्षा और नित्यपुष्टा हैं तथा गोबर से ( पशुओं से ) युक्त गन्धगुणवती हैं। पृथ्वी ही जिनका स्वरुप है, सब भूतों की स्वामिनी उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ अपने घर में आवाहन करता हूँ ॥९॥

 

। पुष्प ।

 

मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।

पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥१०॥

 

 मन की कामनाओं और संकल्प की सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो। गौ आदि पशु एवं विभिन्न प्रकार के अन्न भोग्य पदार्थों के रूप में तथा यश के रूप में श्रीदेवी हमारे यहाँ आगमन करें ॥१०॥

 

। धूप ।

 

कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम।

श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥११॥

 

लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम संतान हैं। हे कर्दम ऋषि ! मेरे घर में लक्ष्मी निवास करें तथा पद्मों की माला धारण करने वाली सम्पूर्ण संसार की माता लक्ष्मीदेवी को हमारे कुल में प्रतिष्ठित करें ॥११॥

 

। दीप ।

 

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।

नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥१२॥

 

 जल स्निग्ध पदार्थों की सृष्टि करे। हे लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत ! आप भी मेरे घर में वास करें और माता लक्ष्मीदेवी का मेरे कुल में निवास करायें ॥१२॥

 

। नैवेद्य ।

 

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥१३॥

 

हे अग्ने ! आर्द्रस्वभावा, कमलहस्ता, पुष्टिरूपा, पीतवर्णा, पद्मों की माला धारण करने वाली, चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्ति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आवाहन करें ॥१३॥

 

 

श्री सूक्त हिन्दी अर्थ सहित

 

 

। प्रदक्षिणा ।

 

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।

सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥१४॥

 

हे अग्ने ! जो दुष्टों का निग्रह करने वाली होने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करने वाली यष्टिरूपा, सुन्दर वर्ण वाली, सुवर्णमालाधारिणी, सूर्यस्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आवाहन करें ॥१४॥

 

। उद्वासन ।

 

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।

यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ॥१५॥

 

हे अग्ने ! कभी नष्ट न होने वाली उन लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आवाहन करें, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, गौएँ, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें ॥१५॥

 

॥फलश्रुति॥

 

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।

सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥१६॥

 

 जिसे लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और संयमशील होकर अग्नि में घी की आहुतियाँ दे तथा इन पंद्रह ऋचाओं वाले श्री सूक्त का निरन्तर पाठ करे ॥१६॥

 

॥ ऋग्वेद वर्णित श्री सूक्त सम्पूर्ण ॥

 

 

 

 

Be a part of this Spiritual family by visiting more spiritual articles on:

The Spiritual Talks

For more divine and soulful mantras, bhajan and hymns:

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

For Spiritual quotes , Divine images and wallpapers  & Pinterest Stories:

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

For any query contact on:

E-mail id: thespiritualtalks01@gmail.com

 

 

 

 

 

By spiritual talks

Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!