श्रीराधाकृष्ण अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

श्रीराधाकृष्ण अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | Shri Radha Krishna Ashtakam with hindi meaning॥श्री राधा कृष्ण अष्टकम॥ श्री राधाकृष्ण अष्टकम | Shri Radha Krishna Ashtakam| Shree Radha Krishna Ashtakam (श्री राधा कृष्ण अष्टकम)| नमामि रधिकधिपं | श्री राधाष्टकं हिंदी अर्थ सहित 

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

 

श्रीराधाकृष्ण अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

 

 

चतुरमुखादिसंस्तुतं , समस्तस्तवतोनुतं

हलौधादि संयुतं नमामि राधिकाधिपं॥१॥

 

मैं राधा के स्वामी को नमस्कार करता हूँ, जिनकी चार मुख वाले ब्रह्मा और अन्य देवताओं द्वारा प्रशंसा की जाती है, जो सदैव सज्जनों द्वारा पूजित हैं , जो सदैव हलधर बलराम और अन्य जनों के साथ हैं ॥१॥

 

Shri Radha Krishna Ashtakam with hindi meaning

 

बकादिदैत्यकालकं सगोपगोपिपालकं।

मनोहरसि तालकं नमामि राधिकाधिपं॥२॥

 

जो राक्षसों का संहार करने वाले, ग्वालों और गोपियों के रक्षक हैं, जो काले और घंघराले केशों वाले हैं, जो राधा को प्रसन्न करते हैं, मैं उन राधा के भगवान को नमस्कार करता हूँ ॥२॥

 

चतुरमुखादिसंस्तुतं , समस्तस्तवतोनुतं। हलौदादि संयुतं नमामि राधिकाधिपं

 

सुरेन्द्रगर्वभंजनं ,विरिञ्चिमोहभंजनं।

व्रजांगनानुरञ्जनं नमामि राधिकाधिपं॥३॥

 

मैं राधा के ईश्वर को नमस्कार करता हूँ, जो देवताओं के राजा इंद्र के गर्व को भङ्ग करने वाले हैं, जो ब्रह्मा के भ्रम को दूर करने वाले हैं, जो सृष्टिकर्ता हैं, जो गायों की भूमि वृंदावन के लोगों को प्रसन्न करते हैं ॥३॥

 

Shree Radha Krishna Ashtakam (श्री राधा कृष्ण अष्टकम)

 

मयूरपिञ्छमण्डनं गजेन्द्रदण्डगंडनं ।

नृशंस कंस दण्डनं,नमामि राधिकाधिपं॥४॥

 

मैं मोर पंख से सुशोभित, हाथी के दन्त को तोड़ने वाले, क्रूर कंस को दंडित करने वाले, राधा को प्रसन्न करने वाले राधा के ईश को नमस्कार करता हूँ ॥४॥

 

Shri Radha Krishna Ashtakam hindi lyrics with meaning

 

प्रदत्तविप्रदारकं , सुदामाधामकारकं।

सुरद्रुमपहारकं ,नमामि राधिकाधिपं॥५॥

 

मैं राधा के नाथ को नमस्कार करता हूँ , जो ब्राह्मण ( सांदीपनि गुरु ) के बालकों को वापस लौटाने वाले हैं, जो सुदामा के दारिद्रय को हरने वाले हैं , उसे धाम प्रदान करने वाले हैं , जो स्वर्ग से देवताओं के दिव्य वृक्ष ( कल्पवृक्ष ) का हरण करने वाले हैं, जो राधा को प्रसन्न करते हैं ॥५॥

 

धनञ्जयजयापहं महाचमूक्षयवाहं।

पितामहव्याधिपाहनं नमामि राधिकाधिपं॥६॥

 

मैं राधा के स्वामी को नमस्कार करता हूँ , जो अर्जुन को विजय प्राप्त कराने वाले हैं, जो भारी शत्रुसेना के विनाशक हैं, जो पितामह भीष्म की पीड़ा को दूर करने वाले हैं, जो राधा को प्रसन्न करते हैं ॥६॥

 

मुनीन्द्रशापकारणं यदुप्रजापहरिणं।

धराभरावतारणं नमामि राधिकाधिपं॥७॥

 

जो मुनियों के श्राप के कारण थे , जिसके कारण यदुकुल का नाश हुआ , जो अवतार लेकर धरती के बोझ को हल्का करने वाले हैं, जो राधा को प्रसन्न करने वाले हैं, उन राधा के नाथ को मैं नमस्कार करता हूँ ॥७॥

 

सुवृक्षमूलशायिनं मृगारि मोक्षदायिनं।

स्वकीयधामयायिनं नमामि राधिकाधिपं॥८॥

 

जो सुंदर वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे हैं, जो हिरण के शत्रु ( व्याध / बहेलिया ) को मुक्ति देने वाले हैं, जो अपने धाम में स्थान देने वाले हैं , जो राधा को प्रसन्न करते हैं, उन राधा के भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ ॥८॥

 

 

Be a part of this Spiritual family by visiting more spiritual articles on:

The Spiritual Talks

For more divine and soulful mantras, bhajan and hymns:

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

For Spiritual quotes , Divine images and wallpapers  & Pinterest Stories:

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

For any query contact on:

E-mail id: thespiritualtalks01@gmail.com

 

 

 

 

 

By spiritual talks

Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!