ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र के लाभ

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ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र के लाभ

 

 

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः भगवान कृष्ण का अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है । जिस प्रकार भगवान कृष्ण अत्यंत आकर्षक हैं , सम्मोहक हैं , सबको अपने प्रेम के वश में करने वाले हैं उसी प्रकार उनका यह मंत्र भी प्रभावशाली है । भगवान कृष्ण किसी को भी अपना बना लेते हैं , उनमें एक अजीब सा आकर्षण है , उनकी लीलाओं का जब ध्यान करते हैं तो हम देखते हैं कि किस प्रकार बालपन से ही उन्होंने सबको अपने आकर्षण में बाँध के रखा था । कान्हा को एक नजर देखते ही उनसे नजरें हटाने का दिल ही नहीं करता इतने प्यारे हैं वो । जो एक बार उनको देखता है वो उनका ही हो के रह जाता है । या जब वो किसी को अपना बनाना चाहते हैं फिर वो उनके आकर्षण से नहीं बच पाता। भगवान कृष्ण के मंत्र का जाप करने से हमारे अंदर भी उन्ही के सामान गुण उत्पन्न होने लगते हैं । हम भी उन्हीं के समान सौम्य , आकर्षक , प्रेम और ज्ञान से परिपूर्ण होते जाते हैं । उनसे बड़ा सर्व गुण संपन्न भला और कौन होगा ? कृष्ण पूर्ण हैं , सम्पूर्ण कलाओं के धारक हैं । क्या है जो वो नहीं कर सकते ?

भगवान कृष्ण के कई मंत्र हैं , कई नाम हैं । आप किसी भी मंत्र का जाप करें किसी भी नाम का जप करें आपका कल्याण होने से कोई नहीं रोक सकता । बात केवल आपकी भावना , श्रद्धा , विश्वास और मन की है । जितनी अधिक आपकी श्रद्धा , विश्वास , अटूट भक्ति और प्रेम प्रबल होगा मंत्र का फल और ईश्वर का आशीर्वाद आपको उतना ही अधिक प्राप्त होगा । सभी मन्त्रों में उस मंत्र से सम्बंधित देवी देवता और ईश्वर की शक्ति सन्निहित होती है और लगातार मन्त्रों क जाप से , उच्चारण से हमारे मन के भीतर और बाहर वैसी ही ऊर्जा का संचार होने लगता है और हम ऊर्जावान , स्फूर्तिवान और विश्वास क बल से संपन्न हो जाते हैं । हमें ऐसा प्रतीत होता है की इस संसार में हम अकेले नहीं कोई है हमारे साथ जो हमें हर विपत्ति से बचा लेगा और यही भरोसा और आस्था हमे जीवन में आगे बढ़ने की ताकत देता है ।

 

 

मन्त्रों के और ईश्वर के लगातार नाम जप से हमारा मन , ह्रदय और आत्मा धीरे – धीरे पवित्र होने लगते हैं क्योंकि वो मंत्र और नाम जिसके हैं वो स्वयं इतने पवित्र , इतने शुद्ध , मनभावन , मनमोहक हैं । जिस प्रकार अग्नि सब कुछ पवित्र कर देती है उसी प्रकार मंत्र जप और नाम जप की अग्नि भी हमारे मन , ह्रदय और आत्मा को पवित्र कर देती है । जिस प्रकार अग्नि में जो भी डालो वो भस्म कर देती है उसी प्रकार ईश्वर के नाम और मंत्र जप की अग्नि में हमारे सारे पाप कर्म भस्म हो जाते हैं और हम भीतर से शुद्ध हो जाते हैं और प्रभु के योग्य बन जाते हैं । मंत्र और नाम जप के लगातार उच्चारण और ईश्वर के ध्यान से जीव धीरे धीरे ज्ञान से और उसकी खोयी होई चेतना से संपन्न होने लगता है , उसे धीरे – धीरे सत्य का , ईश्वर का आभास होने लगता है , अपने किये हुए गलत कर्मों पे पछतावा होने लगता है और उसके अहंकार का , मैं का नाश होने लगता है । और इस कारण पश्चाताप की अग्नि में पुराने कर्म भस्म होने आरम्भ हो जाते है और नए पाप कर्म ज्ञान की अनुभूति के कारण बनते नहीं हैं। 

ऐसे ही बहुत में से कुछ लाभ यहाँ इस मंत्र के बताये गए हैं क्योंकि ईश्वर के नाम और मन्त्रों की महिमा को केवल कुछ इंसानी शब्दों में बखान कर पाना संभव नहीं है । क्योंकि वो इंसान की सीमा और क्षमता से परे है । हम केवल इसकी अनुभूति ही कर सकते हैं । और हर जीव को अपनी अपनी क्षमता , श्रद्धा , आस्था , विश्वास के आधार पर अलग अलग अनुभूतियाँ होती हैं । 

 

 

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र के लाभ

 

आकर्षण शक्ति में वृद्धि

 

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” का जाप करने से आपकी आकर्षण शक्ति में बहुत वृद्धि होती है। आकर्षण शक्ति में वृद्धि का अर्थ है कि आपके मुख पर एक अलग प्रकार का तेज और आभा का आभास होना प्रारम्भ हो जाता है और आपके मुख की अभिव्यक्ति और मुद्रा इस प्रकार के हो जाते हैं कि हर व्यक्ति आपकी ओर आकर्षित होने लगता है अर्थात मंत्रमुग्ध हो जाता है , आपको पसंद करने लगता है , आपकी बात मानने लगता है । जिस प्रकार से सम्मोहन में एक प्रकार की शक्ति होती है जिस के कारण एक इंसान सामने वाले को अपने वश मे कर लेता है।  हालांकि यह उस प्रकार की सम्मोहन शक्ति नहीं होती है , जिस तरह की शक्ति से आप दूसरे काम कर सकते हैं किन्तु लोग आपके कायल जरूर हो जाते हैं। इस मंत्र का जाप करने से सम्मोहन शक्ति भी बढ़ती है। यहां तक कि आपके शत्रु भी आपके उपर मंत्रमुग्ध हो सकते हैं। यदि आप अपनी आकर्षण शक्ति को बेहतर करना चाहते हैं। इस मंत्र का रोजाना 108 बार जाप कर सकते हैं। 

 

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पापों का नाश 

 

जीवन में जाने अनजाने हमसे कई प्रकार के पाप होते रहते हैं । कई पाप इसी जन्म के होते हैं और होते रहते हैं और कई पाप पिछले कई जन्मों के किये हुए होते है जो हमारे साथ चले आते हैं , कई पाप हम जानबूझ कर करते हैं तो कई पाप हमसे अनजाने में हो जाते हैं और उन पाप कर्मो का फल अंततः हमे किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ता है। पाप करना सरल है किन्तु उनका फल भुगतना बहुत कठिन। इसलिए कर्मों के फल से हर व्यक्ति डरता है। इस स्थिति में ॐ क्लीं कृष्णाय नमः का जप अत्यंत लाभकारी हो सकता है। इसके जप से पापों का नाश होता है। जब आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपके मन को शांति मिलती है और आपका “अहम् ” अर्थात ” मैं ” अर्थात ” अहंकार ” समाप्त होने लगता है। जिस के कारण नए पाप कर्म नहीं बनते और मंत्र जप की शक्ति और इसके के कारण हुए हृदय और मन में जाग्रत हुए ज्ञान और चेतना के कारण आपके अंदर की पश्चाताप की अग्नि उन पुराने पापों को स्वयं भस्म कर देती है और इस प्रकार आपके सारे पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं।

 

भगवान कृष्ण का अत्यंत शक्तिशाली मंत्र

 

सफलता प्राप्ति 

 

ऐसा कोई कार्य नहीं जो भगवन के मंत्र जाप से पूरा न हो । भगवन के मन्त्रों में उन की शक्ति निहित होती है । जिस प्रकार भगवान कभी किसी भी कार्य में असफल नहीं होते उसी प्रकार उनका मंत्र भी कभी असफल नहीं होता । भगवान में और उन के नाम , मंत्र आदि में कोई अंतर नहीं है । आप मंत्र और नाम जप के रूप में भगवान् का ही आवाहन कर रहे है और उनको ही पुकार रहे हैं और भगवान हमारी आर्त पुकार कभी अनसुनी नहीं करते ।

 

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मनोकामनाओं की पूर्ति

 

इस मंत्र के नियमित जप से आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होने लगती हैं । आपके अंदर उत्पन्न हुयी सकारात्मकता के कारण आप अपने जीवन में सभी सकारात्मक चीज़ें आकर्षित करने लगते हैं । 

 

मानसिक शांति की प्राप्ति 

 

आपने सदैव भगवान को शांत और प्रसन्न मुद्रा में देखा होगा । मुख पर एक मुस्कराहट , राहत और शांति । ऐसा इसलिए क्योंकि उनका मन उनके वश में है । उनके मन के संकल्प में सृष्टि निर्माण तक की शक्ति है । यह सम्पूर्ण सृष्टि केवल उनके मन के एक विचार और संकल्प से ही रची गयी है । इंसान का मन भी उसी के समान शक्तिशाली है किन्तु उसे अपनी मनः शक्ति का अंदाजा नहीं है । जिसको भी मन के शक्ति की पहचान हो जाती है वो अपने जीवन को सफल बना लेता है । इस मंत्र का जाप करने से आपकी खोयी हुयी मन की शक्ति वापस आने लगती है । जब भी आपके मन के अंदर किसी तरह की उथल पुथल मची हुई है तो इस मंत्र का जाप करने से आपका मन शांत होता है। जब कुछ दिन रोजाना आप जाप करते हैं , तो उसके बाद आपका मन अपने आप शांत रहना प्रारम्भ हो जाएगा और मन के अंदर आपको मंदिर जैसी गहरी शांति का अनुभव होगा । जो कि एक तरह से अदभुत अनुभव होगा । असल मे जब मन अशांत होता है , तो हमारे जीवन के अंदर काफी बड़ी समस्याएं आना आरम्भ हो जाती है। तो आप अपने मन को शांत करने के लिए भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

 

सुख – समृद्धि और धन – ऐश्वर्य प्राप्ति 

 

इस जीवन में कौन सा मनुष्य है जो सुख नहीं चाहता , समृद्धि नहीं चाहता , धन और ऐश्वर्य नहीं चाहता । पर मिलता ये किसी किसी को ही है । कोई भी व्यक्ति कभी अपने लिए दुःख – दर्द तकलीफें नहीं चाहता है । लेकिन फिर भी उसको वो मिलता है । कर्मों के बंधन और कर्मो के फल के विषय में तो हमने सुना ही है । जिस प्रकार खेत में बीज बोने से कभी न कभी सही समय आने पर उस बीज से पेड़ निकलता ही है और जो बीज बोया है उसका ही पेड़ निकलता है और कोई ये नहीं कह सकता कि हजारों बोये हुए बीजों में से कौन सा बीज कब फलेगा । कौन सा पहले कौन सा बाद में । ऐसे ही आटे की चक्की में गेहूँ के दाने डालने पर किसी को नहीं पता कौन सा दाना पहले पिसेगा , कौन सा बाद में । वैसे ही इंसानो के किस कर्म का , किस जन्म के कर्म का , कौन सा फल , कब प्राप्त होगा यह कोई नहीं कह सकता । जीवन में किसी को सुख मिल रहे हैं तो उसके किसी न किसी अच्छे कर्मों का फल हैं और यदि दुःख मिल रहे हैं तो किसी न किसी पाप कर्म का दुःख रुपी फल हैं । जो हम बोते हैं वही काटते हैं । जो देते हैं वही पाते हैं । भगवान के मंत्र और नाम का जाप करने के फलस्वरूप इंसान में सकारात्मक परिवर्तन आने आरम्भ होते हैं । और भगवान के मंत्र और नाम जप रुपी अच्छा कर्म आरम्भ होता है और इस प्रकार उसके जीवन में धीरे धीरे सुख समृद्धि धन ऐश्वर्य आने लगता है क्योंकि जाप के फलस्वरूप उसके विचार , आत्मा , ह्रदय , मन शुद्ध होते जाते हैं । उनमें किसी के प्रति कोई द्वेष , द्वंद्व , बैर , भावना आदि नहीं रह जाती । वह केवल अपने अच्छे कर्मों पर ही केंद्रित रहता है और सही दिशा में बढ़ते हुए धन के अवसर प्राप्त कर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहता है । 

 

मन की एकाग्रता में वृद्धि 

 

जीवन में सबसे कठिन है मन को वश में करना । असल में मन को हमारे आधीन होना चाहिए किन्तु अपनी वास्तविक पहचान और शक्ति को भूलने के कारण हम अपने मन के आधीन हो के बैठे हैं । मन जैसा चाहता है वैसा हमें नचाता है । जो चाहता है वो करवाता है । किन्तु जब हम मंत्र का जाप करते हैं तो हम अपना ध्यान उस मंत्र पर केंद्रित करते हैं और हमारा मन जो एक पल के लिए भी शांत नहीं बैठना चाहता है , हर दूसरे पल कहीं न कहीं भागता ही रहता है वह धीरे धीरे मंत्र के उच्चारण में ध्यान केंद्रित करने से नियंत्रित होने लगता है , केंद्रित होने लगता है । धीरे धीरे प्रयास और अभ्यास के बाद आप पायेंगे कि आपका मन शांत हो गया है और एक स्थान पर केंद्रित होने लगा है । धीरे धीरे मन के भागने की आदत पूर्ण रूप से नियंत्रण में आ जाती है और आप अपनी सारी उर्जा एक दिशा में लगा सकते हैं। 

 

डिप्रेशन , चिंता , अवसाद को दूर भगाने में करता है सहायता 

 

जैसा कि अभी हमने देखा कि इस मंत्र के जप से मन वश में आने लगता है तो धीरे धीरे मन में बसे हुए रोग जिन्हें मनोरोग भी कहते हैं वे भी धीरे धीरे समाप्त होने लगते हैं । कहते हैं न कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत । जीवन में संघर्षों से जीतने के लिए मन को जीतना पहले आवश्यक है । हमारा मन इतना प्रबल हो गया है कि इसने हमारा सही गलत सोचने की शक्ति को भी कमजोर कर दिया है । इंसान छोटी छोटी बातों में हार मान के बैठ जाता है और जीवन में एक हार के बाद ही अपने जीवन की हार मान लेता है । एक ही बात को ले कर परेशान होता रहता है और इस तरह एक ही बात सोच-सोच कर उसका मन और बेचैन , दुखी , परेशान और रोग्रस्त हो जाता है । इस मंत्र के जाप से धीरे धीरे मन सही दिशा में सोचना आरम्भ करता है और पुरानी बात से ध्यान हटा कर आगे बढ़ने कि कोशिश करता है ।

 

मन के मैल को , नकारात्मकता को करता है दूर 

 

मंत्र के जाप से हमारे मन में भरे हुए नकारात्मक और बुरे विचार आने बंद हो जाते हैं । बाहर की गन्दगी अर्थात शरीर का मैल तो नहा धो के साबुन से छूट जाता है किन्तु अंदर की गन्दगी ,  विचारों की ये गन्दगी , ये मन का मैल जो कई जन्मों से इकट्ठा है उसे कैसे दूर किया जाये । बाहर से आप कितने भी सुन्दर क्यों न दिख ले लेकिन जब तक आपका मन सुन्दर , साफ़ , शुद्ध नहीं होगा तब तक बाहर की सुंदरता आपका कुछ भला नहीं कर सकती । कहते हैं न कि राम नाम के साबुन से जो मन का मैल छुड़ाएगा निर्मल मन के दर्पण में वो राम का दर्शन पायेगा । भगवान ने भी कहा हैं कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहे कपट छल छिद्र न भावा। अर्थात शुद्ध मन वाला व्यक्ति ही ईश्वर को प्रिय होता हैं न कि छल कपट से युक्त । हम कहते कुछ हैं , करते कुछ हैं , सोचते कुछ हैं , बाहर कुछ और हैं अंदर कुछ और हैं । जब तक आप अपने अंदर से छल , कपट , निंदा , नकारात्मक , बुरे विचार , क्रोध इत्यादि दूर नहीं करते , अपने मन को शुद्ध करने का प्रयास नहीं करते आपकी ये बेचैनी , ये जीवन मरण का चक्र , कभी समाप्त नहीं हो पायेगा । जैसे जैसे कोई व्यक्ति भगवान के मन्त्रों का और नाम का जाप करना आरम्भ करता है  वह अच्छाई के पथ पर अग्रसर होने लगता है । 

 

जन्म मरण के बंधन से छुटकारा 

 

इस मंत्र के जाप से आपके सम्पूर्ण व्यक्तित्व और जीवन में बदलाव आते हैं और आपका सम्पूर्ण कल्याण हो जाता है । मंत्र के लगातार श्रद्धापूर्वक जप के प्रभाव से आपके अंदर की वासनाएं , इच्छाएं , मोह , माया , लालच , अहंकार , दुर्भावनाएं , ईर्ष्या , द्वेष , जलन आदि समाप्त होने लगती हैं और ईश्वर की कृपा के फलस्वरूप इस जीवन का और स्वयं का सत्य स्वरूप का अनुभव होता है । इस मन्त्र के जपस्वरूप आप इस भवसागर से पार हो सकते हैं और सद्गति प्राप्त कर सकते हैं । ईश्वर की कृपा के फलस्वरूप बार – बार जन्म – मरण रुपी चक्र से , इस दुखालय रुपी संसार से , मिलने – बिछड़ने के कष्ट से छुटकारा मिल जाता है । 

 

जीवन में होते हैं चमत्कार

 

इस चमत्कारी मंत्र के प्रभाव से आपके जीवन में काफी चमत्कार होने लग जाते हैं। यह सब भगवान की कृपा से ही होता है। जो सोचा भी नहीं वो होने लगता है । पहले से पूर्वाभास होने लगते हैं , आपकी बातें सच होने लगती हैं , आपके स्वप्न सच होने लगते हैं । किन्तु इस मंत्र से चमत्कार होने के लिए इसका अधिक संख्या में जप और सही तरीके से नियमित जप आवश्यक है । ऐसा नहीं है कि दो दिन जाप कर के ही आपको जीवन में चमत्कारों की अनुभूति होने लगेगी । 

 

काले जादू , टोने – टुटके , नजर , शत्रुओं इत्यादि से करता है रक्षा – 

 

जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं उसका भला कोई क्या ही बिगाड़ सकता है ? प्रह्लाद , द्रौपदी , गजेंद्र , सुदामा , मीरा आदि जाने कितने ही भक्त हैं जिनकी रखा समय – समय पर भगवान ने की है । 

भगवान के दर्शन प्राप्ति 

 

नियमित रूप से श्रद्धा पूर्वक इस मंत्र का जाप करने से ईश्वर के दर्शन भी प्राप्त हो सकते हैं जो की किसी भी मंत्र या नाम जप का अंतिम फल और लक्ष्य है । इस से बड़ा फल किसी को क्या ही प्राप्त होगा की ईश्वर का साक्षात्कार हो जाये । यही तो मन्त्रों और नाम जप की महिमा होती है । किन्तु यह सब पूर्णरूपेण ईश्वर की कृपा और पात्र की पात्रता पर निर्भर करता है । आप जैसे ही अपनी पात्रता सिद्ध करते हैं ईश्वर निश्चित रूप से आपको दर्शन देंगे। जिस प्रकार शबरी ने अपने गुरु के वचनों पर विश्वास किया और राम आखिर आये उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन देने । भले ही राम का इंतजार करते करते वे वृद्ध हो गयीं किन्तु न उन्होंने उम्मीद छोड़ी न विश्वास और अंत में भगवान को आना ही पड़ा । ऐसे ही आप भी भगवान के दर्शन की उम्मीद न छोड़े और जप में लगे रहें । एक दिन आपका इंतजार सफल होगा ।

 

 

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