Bhaye pragat kripala Lyrics-भये प्रगट कृपाला अर्थ सहित | Bhaye pragat kripala Lyrics in hindi with meaning | भये प्रगट कृपाला दीनदयाला हिंदी में अर्थ सहित | Bhaye Pragat kripala lyrics | भये प्रगट कृपाला इन हिंदी | Bhaye Pragat Kripala Deen Dayala| भये प्रगट कृपाला दीन दयाला | श्री राम स्तुति | Bhaye Pragat Kripala | भये प्रगट कृपाला दीन दयाला | श्री राम स्तुति | Bhaye Pragat Kripala
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भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी |
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी || 1
दीनों पर दया करने वाले ,कौशल्या जी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रगट हुए। मुनियों के मनों को हरने वाले उनके अद्भुत रुप का विचार करके माता हर्ष से भर गयी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी |
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी || 2
नेत्रों को आनंद देने वाल मेघ के समान श्याम शरीर था , चारों भुजाओं में अपने [ खास] आयुध [ धारण किये हुए ] थे, [दिव्य ] आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे । इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रगट हुए ॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता |
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता || 3
दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी -हे अनन्त ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करुँ । वेद और पुराण तुमको माया , गुण और ज्ञान से परे बताते हैं ।
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता |
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता || 4
श्रुतियां और संत जन दया और सुख का समुन्द्र , सब गुणोँ का धाम कहकर जिनका गान करते हैं, वही भक्तों पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिये प्रगट हुए हैं ॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै |
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै || 5
वेद कहते हैं तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए अनेकोँ ब्रह्मण्डों के समूह [ भरे ] हैं । वे तुम मेरे गर्भ में रहे – इस हंसी कि बात के सुनने पर धीर [ विवेकी ] पुरुषों की बुद्धि स्थिर नहीं रहती [ विचलित हो जाती है ] ॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै |
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै || 6
जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ , तब प्रभु मुस्कराये । वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं । अतः उन्होंने [ पूर्वजन्म ] सुन्दर कथा कह कर माता को समझाया , जिससे उन्हेँ पुत्र का [ वात्सल्य ] प्रेम प्राप्त हो [ भगवान के प्रति पुत्र भाव हो जाये ] ॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा |
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा || 7
माता की बुद्धि बदल गयी तब वह फिर बोली -हे तात ! यह रुप छोड़ कर अत्यन्त प्रिय बाललीला करो, [ मेरे लिए ] यह सुख परम अनुपम होगा ।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा |
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा || 8
[माता का वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक [ रूप ] होकर रोना शुरु कर दिया ।
[ तुलसीदास जी कहते हैं ] जो इस चरित्र का गान करते हैँ, वे श्रीहरि का पद पाते हैं और [ फिर] संसार रूपी कूप में नहीं गिरते हैं ॥
Bhaye pragat kripala Lyrics
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी |
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी || 1
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी |
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी || 2
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता |
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता || 3
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता |
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता || 4
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै |
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै || 5
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै |
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै || 6
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा |
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा || 7
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा |
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा || 8
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