Sant Kabir Ke Dohe Part 1 | Sant Kabir Ke Dohe | कबीर के दोहे | संत कबीर दास के दोहे | कबीर की साखियाँ | संत कबीर के दोहे | संत कबीर | कबीरदास | Sant Kabeerdas | Saint Kabirdas
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*कबीरा जब हम पैदा हुए जग हँसे हम रोये।
*कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सबकी खैर।
*कबीरा ते नर अँध है गुरु को कहते और ।
*कबीरा सोई पीर है जो जाने पर पीर ।
*कबीर सुता क्या करे जागी न जपे मुरारी ।
*कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ।
*कबीर कहा गरबियौ ऊंचे देखि अवास ।
*कबीर तहाँ न जाइये जहाँ जो कुल को हेत।
*कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं ।
*कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ।
*कबीर देवल ढहि पड्या ईंट भई सेंवार ।
*कबीर मंदिर लाख का जडियां हीरे लालि ।
*कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि ।
*कबीर बादल प्रेम का हम पर बरसा आई ।
*कबीर प्रेम न चक्खिया चक्खि न लिया साव।
*कबीर थोड़ा जीवना मांड़े बहुत मंड़ाण।
*कबीर सो धन संचिए जो आगे कूं होइ।
*कबीर लहरि समंद की मोती बिखरे आई।
*कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
*कबीर सीप समंद की रटे पियास पियास ।
*कबीर कहा गरबियो काल गहे कर केस।
*कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार ।
*कबीर संगति साध की कड़े न निर्फल होई ।
*कबीर तहाँ न जाइये जहाँ सिध्द को गाँव।
*कबीर संगी साधु का दल आया भरपूर।
*कबीर भेष अतीत का करतूति करै अपराध।
*कबीर संगति साध की बेगि करीजैं जाइ।
*कबीर तासूँ प्रीति करि जो निरबाहे ओड़ि।
*कहैं कबीर देय तू जब लग तेरी देह।
*कहते को कही जान दे गुरु की सीख तू लेय।
*काची काया मन अथिर थिर थिर काम करंत ।
*करता केरे गुन बहुत औगुन कोई नाहिं।
*काजल केरी कोठरी मसि के कर्म कपाट।
*करता था तो क्यूं रहया अब करि क्यूं पछिताय ।
*कहत सुनत सब दिन गए उरझि न सुरझ्या मन।
*कुटिल वचन सबतें बुरा जारि करै सब छार ।
*काल करे सो आज कर आज करे सो अब ।
*कामी क्रोधी लालची इनसे भक्ति न होय ।
*कागा का को धन हरे कोयल का को देय ।
*काजल केरी कोठढ़ी तैसा यहु संसार।
*कबीर हरि हरि सुमिरि ले, प्राण जायेंगे छूट।
*कस्तूरी कुन्डल बसे, मृग ढूंढे बन माहिं।
*करैं बुराई सुख चहैं, कैसे पावै कोय।
*काल पाय जग ऊपजो, काल पाय सब जाय।
*कबीर माया मोहिनी, सब जग छाला छानि।
*कबीर माया मोहिनी, भई अंधियारी लोय।
*कबीर हरि के रूठते, गुरू के शरणै जाय।