कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई ।
कबीर कहते हैं कि जहां सिन्दूर की रेखा है , वहां काजल नहीं लगाया जा सकता। वैसे ही जब नेत्रों में राम विराज रहे हैं तो वहां कोई अन्य कैसे निवास कर सकता है ?
कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई ।
कबीर कहते हैं कि जहां सिन्दूर की रेखा है , वहां काजल नहीं लगाया जा सकता। वैसे ही जब नेत्रों में राम विराज रहे हैं तो वहां कोई अन्य कैसे निवास कर सकता है ?
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