काजल केरी कोठरी, मसि के कर्म कपाट।
पांहनि बोई पृथमीं,पंडित पाड़ी बात।
कबीर कहते हैं कि यह संसार एक तरह से काजल की कोठरी है जिसमें काली स्याही के कपाट लगे हैं। कर्म कोठरी से आशय बुरे कर्मों से है। इस संसार में बुरे कर्मों से बच पाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि यह काजल की कोठरी के समान है । यहाँ पर यत्नपूर्वक रहने के बाद भी व्यक्ति को कोई ना कोई दाग अवश्य ही लग जाता है। पृथ्वी पर चारों तरफ पत्थर की मूर्तियों को बो दिया गया है अर्थात स्थापित कर दिया गया है। पंडितों ने इस मार्ग को और भी अधिक विकट बना दिया है , और अधिक खराब कर दिया है ।