कबीर संगी साधु का, दल आया भरपूर।
इन्द्रिन को तब बाँधीया, या तन किया धर।
सन्तों के साथी विवेक, वैराग्य, दया, क्षमा, समता आदि का समूह जब परिपूर्ण रूप से हृदय में आया तब सन्तों ने इन्द्रियों को रोककर शरीर की व्याधियों को धूल कर दिया। अर्थात तन-मन को वश में कर लिया।