Krishnashtakam-कृष्णाष्टकम अर्थ सहित |“वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं ” हिंदी में अर्थ सहित | कृष्णअष्टकं- कृष्णं वन्दे जगद्गुरुं | Krsnastakam | Krishnashtakam Composed by sage Adi Shankaracharya | वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं लिरिक्स अर्थ सहित | आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित कृष्णाष्टकं | Krishnashtakam Hindi Lyrics with Meaning | Krishnashtakam with meaning | Krishnashtakam by Shankaracharya | कृष्णाष्टकं हिंदी अर्थ सहित | कृष्ण स्तुति | कृष्ण स्तोत्र | Vasudev Sutam Devam with Hindi Meaning | वसुदेव सुतं देवं हिंदी अर्थ सहित| shri krishnashtakam | श्री कृष्णाष्टकम | श्री कृष्णाष्टक | Shri Krishnashtakam with Hindi Meaning
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श्री कृष्ण अष्टकम भगवान कृष्ण पर लोकप्रिय भजनों और स्तुतियों में से एक है और भगवान कृष्ण से संबंधित कई पहलुओं की व्याख्या करता है। इस सुन्दर स्तुति की रचना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी है । स्तुति शुरू होती है ” वसुदेव सुतं देवं ” के साथ । यह श्री कृष्णाष्टकं 8 छंदों का एक भजन है और हर एक पंक्ति का अंत ‘ कृष्णं वन्दे जगद्गुरुं ’ से होता है जो दर्शाता है कि भगवान कृष्ण दुनिया के सबसे बड़े गुरु हैं। साथ ही, यह अष्टकम् भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों, कथाओं और उपस्थिति को सरल तरीके से समझाता है। इस दिव्य स्तोत्र को पढ़ने से होने वाले लाभों के बारे में फल स्तुति या अंतिम श्लोक बताते हैं। जो भी मनुष्य इस कृष्ण अष्टकम का पाठ करता है उसे अपार पुण्य की प्राप्ति होगी और उसके पिछले जन्मों में किए गए पाप भी पाठ करने और इसके स्मरण मात्र से नष्ट हो जाएंगे।
Krishnashtakam
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्
देवकी परमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || १ ||
जो वसुदेव के पुत्र हैं, जो माता देवकी के परम आनंद का कारण थे, और जिन्होंने दुष्ट कंस और चाणूर का संहार कर डाला। हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं , मैं आपको नमन करता हूं।।1।।
अतसी पुष्प संकाशम् हार नूपुर शोभितम्
रत्न कंकण केयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || २ ||
जो नीले रंग के अतसी पुष्पों से युक्त हो कर अत्यंत शोभायमान हो रहे हैं , जो हार और नूपुर से सुशोभित हो कर दीप्तिमान हो रहे हैं। जो बहुमूल्य रत्नों से बने कंगन धारण करते हैं । हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं , मैं आपको नमन करता हूं।।2।।
कुटिलालक संयुक्तं पूर्ण चंद्र निभाननम्
विलसत्कुण्डलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ३ ||
घुंघराले केशों से युक्त , जिनका मुख पूर्णिमा के चंद्र के समान प्रतीत होता है। जो विलक्षण कुण्डलों से सुशोभित है,
हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं , मैं आपको नमन करता हूं।।3।।
मंदार गन्ध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम्
बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ४ ||
जो मंदार पुष्पों की सुगंध से युक्त हैं, मृदु मुस्कान और चार भुजाओं से शोभित , अपने मस्तक पर मोरपंख धारण किये हुए हैं। हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं , मैं आपको नमन करता हूं।।4।।
Krishnashtakam-कृष्णाष्टकम
Krishnashtakam-कृष्णाष्टकम
उत्फुल्ल पद्म पत्राक्षं नील जीमूत सन्निभम्
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ५ ||
वह जिनके नयन कमल की पंखुड़ियों के समान शोभित होते हैं , जिनकी देह सघन नील वर्ण मेघों के समान श्याम है । जो यादव कुल के शिरोमणि हैं । हे भगवान कृष्ण! आप समस्त जगत के गुरु हैं , मैं आपको नमन करता हूं।।5।।
रुक्मिणी केळि संयुक्तं पीतांबर सुशोभितम्
अवाप्त तुलसी गन्धं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ६ ||
जो रुक्मिणी जी के साथ लीला कर रहे हैं, जो पीतांबर (सोने से बुने हुए रेशमी वस्त्र) से सुशोभित हैं, जो तुलसी की गंध से आकर्षित होते हैं । हे भगवान कृष्ण !आप समस्त जगत के गुरु हैं ,मैं आपको नमन करता हूं।।6।।
गोपिकानां कुचद्वन्द्व कुंकुमाङ्कित वक्षसम्
श्री निकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ७ ||
वह जिनका वक्ष स्थल गोपिकाओं के आलिंगन के कारण कुंकुम से युक्त हो जाता है। जिन भगवान में श्री लक्ष्मी का वास होता है। जो विशाल धनुष से युक्त हैं। हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं ,मैं आपको नमन करता हूं।।7।।
श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं वनमाला विराजितम्
शंख चक्र धरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् || ८ ||
श्री वत्स (देवी लक्ष्मी का चिह्न) से सुशोभित, ( स्वयं में) आनंद लेते हुए , जो फूलों की माला के साथ अत्यंत शोभायमान हो रहे हैं। जो शंख और चक्र धारण किए हैं । हे भगवान कृष्ण ! आप समस्त जगत के गुरु हैं।मैं आपको नमन करता हूं।।8।।
फल श्रुति – कृष्णअष्टकं पढ़ने और सुनने से लाभ
कृष्णाष्टकमिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत् |
कोटि जन्म कृतं पापं स्मरणेन विनष्यति ||
जो भी मनुष्य इस कृष्ण अष्टकम का पाठ करता है उसे अपार पुण्य की प्राप्ति होगी और उसके पिछले जन्मों में किए गए पाप भी पाठ करने और इसके स्मरण मात्र से नष्ट हो जाएंगे।।9।।
|| इति कृष्णाष्टकम् ||
Krishnashtakam-कृष्णाष्टकम
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Jay Jagannath
Hare Krishna
Plz , Sir upload the krishnastakam by shankaracharya , Sriyaslista Vishnu sthirataratanu ……….sharanyo lokesho mama bhabatu krishnavisayah ..
Please make .
It is urgent for me .
Plz , sir , with hindi meaning .