Om Krishnaya Vasudevaya Mantra & Benefits | Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Krishna Mantra | ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने कृष्ण मंत्र | सभी संकटो, कष्टों, क्लेशों, दुखों, बाधाओं और दरिद्रता से मुक्ति के लिए अद्भुत कृष्ण मंत्र | ॐ कृष्णाय वासुदेवाय मंत्र लाभ
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Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Krishna Mantra
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने कृष्ण मंत्र
सभी संकटो, कष्टों, क्लेशों, दुखों , बाधाओं और दरिद्रता से मुक्ति के लिए अद्भुत कृष्ण मंत्र
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Pranatah Klesh Nashaya Govindaya Namo Namah
‘मंत्र’ का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी इष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं।
सभी संकटो, कष्टों, क्लेशों, दुखों, बाधाओं और दरिद्रता से मुक्ति के लिए अद्भुत कृष्ण मंत्र:-
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
( आप ऊपर दिए तीन मंत्रो में से किसी भी एक का जाप कर सकते हैं। मूल मंत्र ॐ से शुरू होता है । परन्तु कई जगह ॐ के स्थान पर श्री का उल्लेख है । और कई स्थानों पर बिना ॐ या श्री के ही मंत्र का उल्लेख है। यहाँ पर ये ध्यान का विषय है कि जब भी कोई मंत्र ॐ से आरम्भ होता है तो उस मंत्र में कुछ विधि विधान पालन करने होते हैं। पवित्रता का ध्यान रखे , आसन पर बैठ कर ही मंत्र जाप करे , निश्चित माला करे आदि। परन्तु जो मंत्र श्री से आरम्भ होते हैं उनमे ऐसा कोई विधि निषेध नहीं होता। इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए मंत्र में विविधता दिखती है । परन्तु आप अपनी सुविधा और श्रद्धा अनुसार ॐ के साथ , श्री के साथ या बिना ॐ या श्री के मंत्र जाप कर सकते हैं। इस मंत्र के अर्थ को ध्यान में रखते हुए इसका श्रद्धा पूर्वक जाप करे। जो कि इस प्रकार है –
हे शरणागत के दुखों को दूर करने वाले कृष्ण , वासुदेव , हरि, परमात्मा , गोविन्द आपको बारम्बार प्रणाम है ।
इस मंत्र में प्रभु के कृष्ण , वासुदेव, हरि , परमात्मा , गोविन्द नामों का प्रयोग हुआ है और प्रभु श्री कृष्ण जो कि अपने शरणागत भक्तों के दुखों को दूर करने वाले हैं यह मंत्र उनके के प्रति आभार प्रकट करता है और उनको बारम्बार नमन करता है।
ॐ या श्री बस प्रभु के अभिवादन के लिए प्रयोग हुआ है। ॐ और श्री दोनों में ही प्रभु कि ऊर्जा निहित है। मंत्र में प्रभु के नाम विशेष हैं । मंत्र का मुख्य उद्देश्य है प्रभु के नामों का उच्चारण । जो कभी भी और किसी भी अवस्था में लिया जा सकता है। उसमे कोई विधि निषेध नहीं है। प्रभु के पवित्र नामों में ही प्रभु का निवास है। उनकी ऊर्जा शक्ति है। और वही ऊर्जाशक्ति हमारे द्वारा मंत्र या नाम उच्चारण या आवाहन के कारण हमारे सभी कष्टों को दूर करती है। आशा है आप सभी को इस मंत्र के द्वारा प्रभु का आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त हो । आप जब मंत्र उच्चारण न कर सके तो मंत्र सुन सकते हैं । मंत्र सुन ने से भी समान लाभ प्राप्त होता है। प्रभु का नाम , उनकी कथा , उनका मंत्र कहने सुन ने से लाभ ही होता है। जय श्री कृष्ण )
मंत्र का अर्थ
कृष्णाय — हे कृष्ण ; वासुदेवाय — वासुदेव के पुत्र ; हरये — हरि; परमात्मने — परमात्मा ; प्रणतः — उनकी शरण ग्रहण करने वाले भक्त ; क्लेश — कष्टों का ; नाशाय— नाश करने वाले ; गोविन्दाय — गोविंद; नमो नमः — बारम्बार नमन
हे कृष्ण ! वासुदेव ! हरि ! परमात्मा ! आपकी शरणागति ग्रहण करने वाले भक्तों के सभी क्लेशों का नाश हो जाता है। हे गोविन्द! आपको बारम्बार नमन है।
मंत्र का तात्पर्य
जिनके स्मरण मात्र से , जिनकी शरण में जाने मात्र से , जिनके प्रति पूर्ण समर्पित होने से सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है , विघ्न बाधा और संकटों का नाश हो जाता है । उन श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि ,परमात्मा एवं गोविन्द को बार बार नमस्कार है।
यह मंत्र जीवन में किसी भी प्रकार के संकट को पास फटकने नहीं देगा।इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। यह मंत्र अत्यंत प्रभावकारी और शक्तिशाली है। इस मंत्र का जाप करने से या सुन ने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों, बाधाओं , समस्याओं का अंत हो जाता है। जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो कर सकारात्मकता का प्रवेश होता है।
जो कोई भी भगवान श्री कृष्ण की शरण लेता है वह हमेशा भगवान कृष्ण द्वारा संरक्षित , निर्देशित और उनका कृपा पात्र होता है। भगवान कृष्ण अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ते।
Om Krishnaya Vasudevaya Mantra
Om Krishnaya Vasudevaya Mantra
Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane
Pranatah Klesh Naashaaya Govindaaya Namo Namah
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Shri Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane
Pranatah Klesh Naashaaya Govindaaya Namo Namah
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Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane
Pranatah Klesh Naashaaya Govindaaya Namo Namah
( You can chant any one of the above three mantras. The Mool Mantra begins with Om. But in many places Shri is mentioned in place of Om. And in many places the mantra is mentioned without Om or Shri. Here it is a matter of consideration that whenever a mantra starts with Om, then some rituals have to be followed in case of that mantra. Take care of the purity, chant the mantra while sitting on the seat, make a certain rosary , fix chanting of rosary etc. But there is no such prohibition in the mantras which start with Shri. Keeping these things in mind, diversity is seen in the mantra. But you can chant the mantra with Om, with or without Shri or without Om or Shri as per your convenience and faith. Keeping in mind the meaning of this mantra, chant it with devotion. O Lord Krishna, Vasudeva, Hari, Paramatma, Govind, who removes the sorrows of the refugee, I bow to you again and again.
In this mantra the names of Lord Krishna, Vasudeva, Hari, Paramatma, Govind have been used and Lord Shri Krishna, who is the one who removes the sorrows of his devotees, this mantra expresses gratitude to him and bows to him again and again.
Om or Shri is just used to greet the Lord or as salutation to him. The energy of GOD is contained in both Om and Shri. The names of the Lord are the main source of energy in the mantra. The main purpose of the mantra is to chant the names of the Lord which can be taken anytime and in any condition.
There is no prohibition in it. The Lord resides in the name. His energy is there in His names and that same energy power removes all our troubles after chanting or invocations of His pious names by us. Hope you all get the blessings and protection of GOD through this mantra. When you cannot recite the mantra, you can listen to the mantra. The same benefits are obtained by listening to the mantra. It is always beneficial to hear the name of the Lord, his story, his mantra.)
Meaning of Mantra-
krishnaya — to Krishn; vasudevaya — the son of Vasudeva; haraye — Lord Hari; param-atmane — the Supersoul; pranatah — of those who have surrendered; klesh — of the distress; nashaya — the destroyer; govindaya — to Govinda; namah namah — repeated obeisances.
Again and again we offer our obeisances unto Lord Krishna, Hari, the son of Vasudeva. That Supreme Soul, Govind, destroys the sufferings of all devotees who surrender to Him or take His shelter.
This mantra removes all kinds of hardships, hurdles and difficulties from life. It brings positivity and peace into your life and mind exiting all the negativity. Whoever takes shelter of Lord Shri Krishna is always blessed and protected and guided by Him in his life path. Lord Krishna never leaves His devotees alone.
Lord Shiva tells Parvati that one who performs Japa of this mantra daily, will not only be rid of sins, but also will reach Vishnu Lok in course of time.
Krishna refers to his capacity to ward off difficulties faced by the devotees. Hari refers to His compassion towards devotees in warding off their sins, the root cause of their misery, but only if they repent sincerely.The word Paramatma indicates He is Super soul. Govinda indicates his auspicious qualities represented by the words. The word Namaha repeated twice represents our complete surrender to Him.
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