Shri Ram Ashtakam with meaning| श्रीराम अष्टकम अर्थ सहित | श्रीराम अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | ऋषि व्यास द्वारा रचित रामाष्टकं | श्री रामाष्टकं हिंदी लिरिक्स | Shri Ram Ashtakam with hindi meaning | Ram Ashtakam with english meaning | Ram Ashtakam Hindi Lyrics | Shri Ramashtakam English Lyrics | Shri Ramashtakam composed by sage Vyas| Benefits of Ramashtakam | राम अष्टकम के लाभ | भजे ह राममद्वयम् | Ramashtakam | Rishi vyas dvara rachit Ramashtakam| भजे विशेषसुन्दरं समस्तपापखण्डनम्
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भजे विशेषसुन्दरं समस्तपापखण्डनम् ।
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव राममद्वयम् ॥ १ ॥
मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो विशेष रूप से सुंदर है, जो सब पापों को काटते हैं और जो अपने भक्तों के मन को प्रसन्न और सुखी करते हैं ॥ १ ॥
Bhaje Vishesh sundaram samast pap khandanam
Svabhakt chitt ranjanam sadaiv Ramamdvayam॥ 1 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who is especially pretty, Who cuts off all sins, And who makes the mind, Of his devotes happy॥ 1 ॥
जटाकलापशोभितं समस्तपापनाशकं ।
स्वभक्तभीतिभञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ २ ॥
मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो अपने उलझे हुए बालों के साथ प्रभावान हो रहे हैं , जो सब पापों का नाश करते हैं और जो अपने भक्तों को भय से मुक्त करते हैं ॥ २ ॥
Jata kalaap shobhtam samast pap naashkam
svabhakt bheeti bhanjanam bhaje ha Ramamdvayam॥ 2 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who shines with his matted hair, Who destroys all sins, And who makes the mind, Of his devotees free from fear॥ 2 ॥
निजस्वरूपबोधकं कृपाकरं भवापहम् ।
समं शिवं निरञ्जनं भजे ह राममद्वयम् ॥ ३ ॥
मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो हमें अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित कराते हैं , जो बहुत दयालु हैं , जो जीवन के दुखों का नाश करते हैं , जो सबको समान समझते हैं , जो शांत रहते हैं , जो सब अच्छा करते हैं ॥ ३ ॥
Nij svaroop bodhkam kripakaram bhavaapham
samam shivam niranjnam bhaje ha Ramamdvayam॥ 3 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who shows us his real self, Who is very merciful, Who destroys sorrows of life, Who considers every one equal, Who is peaceful, And who does all that is good ॥ 3 ॥
सहप्रपञ्चकल्पितं ह्यनामरूपवास्तवम् ।
निराकृतिं निरामयं भजे ह राममद्वयम् ॥ ४ ॥
मैं हमेशा प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो स्वयं में ब्रह्माण्ड के दर्शन कराते हैं , जो बिना किसी नाम के सत्य हैं , जो निराकार हैं और जो व्याधियों और पीड़ाओं से दूर हैं ॥ ४ ॥
Sah prapanch kalpitam hya naam roop vaastavam
Nirakritim Niramayam bhaje ha Ramamdvayam॥ 4 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who shows the world in himself, Who is the truth without names, Who is someone without form, And who is away from sickness and pain॥ 4 ॥
निष्प्रपञ्चनिर्विकल्पनिर्मलं निरामयम् ।
चिदेकरूपसन्ततं भजे ह राममद्वयम् ॥ ५ ॥
मैं हमेशा प्रार्थना करता हूं कि राम, अद्वितीय हैं , जो संसार से विलग हैं , जो किसी प्रकार का भेद नहीं देखते , जो अत्यंत सरल हैं , दर्पण के समान बिलकुल स्पष्ट है, जिसे रोग नहीं होते, और जो सदैव सत्य के साकार रूप में स्थित रहते हैं ॥ ५ ॥
Nishprapanch Nirvikalp nirmalam niramayam
Chidek roop santatam bhaje ha Ramamdvayam॥ 5 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who is away from the world, Who does not see differences, Who is crystal clear, Who does not have diseases, And who stands always as, The real form of truth॥ 5 ॥
भवाब्धिपोतरूपकं ह्यशेषदेहकल्पितम् ।
गुणाकरं कृपाकरं भजे ह राममद्वयम् ॥ ६ ॥
मैं हमेशा प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो इस भवसागर को पार कराने वाली नौका है, जो सभी प्रकार की देहों में समान रूप में प्रद्दीप्त हैं। जो सबका भला करते हैं और कृपा करने वाले हैं ॥ ६ ॥
Bhavaabdhi Pot roopkam hya shesh deh kalpitam
Gunakaram Kripakaram bhaje ha Ramamdvayam॥ 6 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who is the ship to cross the sea of life, Who shines as all types of bodies, Who does good, And who shows mercy॥ 6 ॥
महावाक्यबोधकैर्विराजमानवाक्पदैः ।
परं ब्रह्मसद्व्यापकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ७ ॥
मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो इतने महान हैं कि, वह वैदिक महावाक्यों या सूक्तियों द्वारा जानने योग्य है , जो ब्रह्म हैं और जो सर्वत्र व्याप्त हैं ॥ ७ ॥
Mahavakya bodhkairvirajmaan vaakpadaih
Param Brahm sadvyaapkam bhaje ha Ramamdvayam॥ 7 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who is so great that, He is fit to be known through, Great Vedic sayings, And who is Brahma, Which is spread everywhere ॥ 7 ॥
शिवप्रदं सुखप्रदं भवच्छिदं भ्रमापहम् ।
विराजमानदेशिकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ८ ॥
Shivpradam sukhpradam bhavacchidam bhramaapham
Virajmaandeshikam bhaje ha Ramamdvayam॥ 8 ॥
I pray always that Rama, Who is second to none, Who grants peace, Who gives us pleasure, Who destroys the problems of life, Who avoids illusion, And who is the resplendent Guru॥ 8 ॥
मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि राम, जो अद्वितीय हैं , जो कल्याण करते हैं , शांति प्रदान करते हैं , जो हमें सुख प्रदान करते हैं , जो जीवन की समस्याओं का नाश करते हैं , जो भ्रम से बचते हैं और जो देदीप्यमान गुरु हैं॥ ८ ॥
रामाष्टकं पठति यस्सुखदं सुपुण्यं
व्यासेन भाषितमिदं शृणुते मनुष्यः
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्तिं
संप्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम् ॥ ९ ॥
जो भी मनुष्य श्री राम के इस अष्टकम स्तोत्र को , जिसे समझना अत्यंत सरल है, जो अच्छे कर्मों को जन्म देता है, जिसे ऋषि व्यास ने लिखा है, को पढ़ता या सुनता है उसे ज्ञान, धन , सुख और असीम प्रसिद्धि प्राप्त होगी और अपना शरीर छोड़ने के पश्चात् उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होगी॥ ९ ॥
Ramashtakam Pathati Yassukhadam supunyam
Vyaasen Bhaashitmidam shrunute manushyah
Vidhyam Shriyam vipul saukhyamnant keertim
samprapya dehvilye labhte ch moksham ॥ 9 ॥
He who reads or hears this octet on Rama, Which is easy to understand, Which gives rise to good deeds, Which is written by sage Vyasa, Would get knowledge, wealth, Pleasure and limitless fame, And once he leaves his body, He would also get salvation॥ 9 ॥
॥ इति श्रीव्यासविरचितं रामाष्टकं संपूर्णम् ॥
।।इति संपूर्णंम्।।
श्री राम अष्टकम के लाभ
श्री राम अष्टकम का पाठ करने से भगवान श्री राम जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इसका पाठ करने से सब पापों से मुक्ति मिलती है , सब दुखो का अंत होता है , नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है और मन को बहुत शांति मिलती है ।
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