जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी ।
फूटा कुम्भ जल जलहि समाना यह तथ कह्यौ गयानी ।
जब पानी भरने जाएं तो घडा जल में रहता है और भरने पर जल घड़े के अन्दर आ जाता है इस तरह देखें तो बाहर और भीतर पानी ही रहता है , पानी की ही सत्ता है। जब घड़ा फूट जाए तो उसका जल जल में ही मिल जाता है , अलगाव नहीं रहता । ज्ञानी जन इस तथ्य को कह गए हैं ! आत्मा-परमात्मा दो नहीं एक हैं । आत्मा परमात्मा में और परमात्मा आत्मा में विराजमान है। अंतत: परमात्मा की ही सत्ता है । जब देह विलीन होती है वह परमात्मा का ही अंश हो जाती है उसी में समा जाती है। एकाकार हो जाती है।