आगे दिन पाछे गये, गुरू सों किया न हेत।
अब पछितावा क्या करै, जब चिडियां चुग गई खेत।।
तुम्हारे अच्छे दिन पीछे चले गये अर्थात् बीत गये किन्तु तुमने ना तो भक्ति की और न सद्गुरू से प्रेम किया। जब अन्तिम समय निकट आया तो पछताने से क्या लाभ। जो समय बीत गया वह लौटकर वापस नहीं आता। तुम्हारे तन में बसी विषय भोग रूपी चिडि़या रूपी खेत का सारा दाना चुग गई।