Tulsi Chalisa lyrics

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Tulsi Chalisa lyrics

 

 

 

तुलसी श्री हरि को अत्यंत प्रिय हैं । तुलसी जी की पूजा आराधना करने से श्री हरि की कृपा स्वयं प्राप्त हो जाती है । माता तुलसी की आराधना और स्तुति करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होता है । माता तुलसी की कृपा से रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है, शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है । माता तुलसी की कृपा से जीवन में सुख शांति आती है । यदि कोई सच्चे दिल से भक्ति और श्रद्धा भाव के साथ माँ तुलसी की सेवा आराधना करे तो माँ तुलसी अपने भक्तों के संकट तुरंत हर लेती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करती हैं । एकादशी , पूरणमासी , तुलसी विवाह के दिन तो माता तुलसी की इस चालीसा का पाठ करना अत्यंत ही मंगलकारी होता है । श्री तुलसी चालीसा का पाठ यदि शांत मन के साथ, अपने आप को माँ के चरणों में समर्पित करते हुए किया जाये तो निश्चित ही धन धान्य, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं । हिंदू धर्म में तुलसी माता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। प्रायः सभी हिंदुओं के घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाया जाता है। नियमित रूप से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। कार्तिक मास में तुलसी की पूजा करना विशेष फलदाई माना गया है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को तुलसी माता कहा जाता है और नियमित रूप से तुलसी माता को जल अर्पित किया जाता है। रविवार को तुलसी के पौधे में जल अर्पित नहीं करते हैं। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। तुलसी के चार से पांच पत्ते रोजाना खाने से शरीर की इम्युनिटी मजबूत होती है और बीमारियां नहीं होती हैं। तुलसी जी के इन्हीं गुणों के कारण उन्हें घर के आंगन में लगाकर नियमित रूप से उनकी पूजा की जाती है। तुलसी माता का चालीसा का पाठ करने से घर में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है और धन की बरकत होती है। परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ एवं सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।

 

|| दोहा ||

श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय ।

जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ।।

|| चौपाई ||

नमो नमो तुलसी महारानी । महिमा अमित न जाए बखानी ।।

दियो विष्णु तुमको सनमाना । जग में छायो सुयश महाना ।।

विष्णु प्रिया जय जयति भवानि । तिहूं लोक की हो सुखखानी ।।

भगवत पूजा कर जो कोई । बिना तुम्हारे सफल न होई ।।

जिन घर तव नहिं होय निवासा । उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा ।।

करे सदा जो तव नित सुमिरन । तेहिके काज होय सब पूरन ।।

कातिक मास महात्म तुम्हारा । ताको जानत सब संसारा ।।

तव पूजन जो करैं कुंवारी । पावै सुन्दर वर सुकुमारी ।।

कर जो पूजा नितप्रति नारी । सुख सम्पत्ति से होय सुखारी ।।

वृद्धा नारी करै जो पूजन । मिले भक्ति होवै पुलकित मन ।।

श्रद्धा से पूजै जो कोई । भवनिधि से तर जावै सोई ।।

कथा भागवत यज्ञ करावै । तुम बिन नहीं सफलता पावै ।।

छायो तव प्रताप जगभारी । ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी ।।

तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में । सकल काज सिधि होवै क्षण में ।।

औषधि रूप आप हो माता । सब जग में तव यश विख्याता ।।

देव रिषी मुनि और तपधारी । करत सदा तव जय जयकारी ।।

वेद पुरानन तव यश गाया । महिमा अगम पार नहिं पाया ।।

नमो नमो जै जै सुखकारनि । नमो नमो जै दुखनिवारनि ।।

नमो नमो सुखसम्पत्ति देनी । नमो नमो अघ काटन छेनी ।।

नमो नमो भक्तन दु:ख हरनी । नमो नमो दुष्टन मद छेनी ।।

नमो नमो भव पार उतारनि । नमो नमो परलोक सुधारनि ।।

नमो नमो निज भक्त उबारनि । नमो नमो जनकाज संवारनि ।।

नमो नमो जय कुमति नशावनि । नमो नमो सब सुख उपजावनि ।।

जयति जयति जय तुलसीमाई । ध्याऊं तुमको शीश नवाई ।।

निजजन जानि मोहि अपनाओ । बिगड़े कारज आप बनाओ ।।

करूं विनय मैं मात तुम्हारी । पूरण आशा करहु हमारी ।।

शरण चरण कर जोरि मनाऊं । निशदिन तेरे ही गुण गाऊं ।।

करहु मात यह अब मोपर दया । निर्मल होय सकल ममकाया ।।

मांगू मात यह बर दीजै । सकल मनोरथ पूर्ण कीजै ।।

जानूं नहिं कुछ नेम अचारा । छमहु मात अपराध हमारा ।।

बारह मास करै जो पूजा । ता सम जग में और न दूजा ।।

प्रथमहि गंगाजल मंगवावे । फिर सुंदर स्नान करावे ।।

चंदन अक्षत पुष्प चढ़ावे । धूप दीप नैवेद्य लगावे ।।

करे आचमन गंगा जल से । ध्यान करे हृदय निर्मल से ।।

पाठ करे फिर चालीसा की । अस्तुति करे मात तुलसी की ।।

यह विधि पूजा करे हमेशा । ताके तन नहिं रहै क्लेशा ।।

करै मास कार्तिक का साधन । सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं ।।

है यह कथा महा सुखदाई । पढ़ै सुने सो भव तर जाई ।।

|| दोहा ||

यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय ।

गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय ।।

 

 

 

 

Tulsi Chalisa with hindi meaning

 

 

 

 

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