Achyutashtakam Hindi Lyrics with Meaning | Achyutashtakam-Divine Mantra of Lord Krishna| Achyutashtakam | अच्युताष्टकम हिंदी अर्थ सहित | अच्युताष्टक हिंदी लिरिक्स | अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरं | Achyutam Keshavam Krsihna Damodaram
Achyutashtakam-A Hymn of Lord Krishna
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अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरिं ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ।।1।।
अच्युत ,केशव ,राम नारायण ,कृष्ण ,दामोदर ,वासुदेव, हरि, श्रीधर , माधव , गोपिकावल्लभ तथा जानकी नायक रामचन्द्रजी को मैं भजता हूँ ।।1।।
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ।।2।।
अच्युत , केशव , सत्यभामापति , लक्ष्मीपति , श्रीधर, राधिकाजी द्वारा आराधित , लक्ष्मीनिवास , परम सुन्दर , देवकीनन्दन , नन्दकुमार का चित्त से ध्यान करता हूँ।।2।।
विष्णवे जिष्णवे शंखिणे चक्रिणे
रुक्मणीरागिणे जानकी जानये ।
वल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने
कंसविध्वंसिने वंशिने ते नम:।।3।।
जो सर्व व्यापी हैं, विजयी हैं, शंख–चक्रधारी हैं, रुक्मणी जी के परम प्रेमी हैं, जानकी जी जिनकी धर्मपत्नी हैं तथा जो ब्रजांगनाओं के प्राणाधार हैं उन परम पूज्य , आत्मस्वरूप , कंसविनाशक, मुरलीधर को मैं नमस्कार करता हूँ।।3।।
कृष्ण गोविन्द हे राम ! नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज!
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ।।4।।
हे कृष्ण! हे गोविन्द ! हे राम! हे नारायण! हे रमानाथ ! हे वासुदेव ! हे अजेय ! हे शोभाधाम ! हे अच्युत ! हे अनन्त ! हे माधव ! हे अधोक्षज ( इन्द्रियातीत ) ! हे द्वारिकानाथ ! हे द्रौपदीरक्षक !मुझ पर कृपा कीजिये ।।4।।
राक्षसक्षोभित: सीतया शोभितो
दण्डकारण्यभूपुण्यताकारण: ।
लक्षमणेनान्वितो वानरै: सेवितो
अगस्त्यसम्पूजितो राघव: पातु माम् ।।5।।
राक्षसों पर अति कुपित , श्री सीता जी से सुशोभित , दण्डकारण्य की भूमि की पवित्रता के कारण , श्री लक्षमण जी द्वारा अनुगत, वानरों से सेवित , श्री अगस्त्यजी से पूजित रघुवंशी श्री राम मेरी रक्षा करें।।5।।
धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा
केशिहा कंसहृद्वंशिकावादक: ।
पूतनाकोपक: सूरजाखेलनो
बालगोपालक: पातु मां सर्वदा ।।6।।
धेनुक और अरिष्टासुर आदि का अनिष्ट करने वाले , शत्रुओं का ध्वंस करने वाले , केशी और कंस का वध करने वाले , वंशी को बजाने वाले , पूतना पर कोप करने वाले , यमुनातट विहारी बालगोपाल मेरी सदा रक्षा करें।।6।।
विद्युदुद्योत – वत्प्रस्फुर – द्वाससं
प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोर:स्थलं
लोहितांघ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ।।7।।
विद्युत्प्रकाश के सदृश जिनका पीताम्बर विभासित हो रहा है , वर्षाकालीन मेघों के समान जिनका अति शोभायमान शरीर है , जिनका वक्ष:स्थल वनमाला से विभूषित है और चरणयुगल अरुणवर्ण हैं , उन कमलनयन श्री हरि को मैं भजता हूँ ।।7।।
कुञ्चितैः कुन्तलैभ्रार्जमानाननं
रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयो: ।
हारकेयूरकं कंकणप्रोज्जवलं
किंकिणीमंजुलं श्यामलं तं भजे।।8।।
जिनका मुख घुंघराली अलकों से सुशोभित हो रहा है , उज्जवल हार , केयूर ( बाजूबन्द ) , कंकण और किंकिणी कलाप से सुशोभित उन मंजुल मूर्ति श्री श्यामसुन्दर को भजता हूँ ।।8।।
अच्युतस्याष्टकं य: पठेदिष्टदं
प्रेमत: प्रत्यहं पुरुष: सस्पृहम् ।
वृत्तत: सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य
वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ।।9।।
जो पुरूष इस अति सुन्दर छन्द वाले और अभीष्ट फलदायक अच्युताष्टक को प्रेम और श्रद्धा से नित्य पढ़ता है , विश्वम्भर विश्वकर्ता श्रीहरि शीघ्र ही उसके वशीभूत हो जाते हैं , उसकी समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।।9।।
अच्युताष्टकम भगवान श्री हरि को संबोधित करने वाली प्रार्थनाओं में से एक है, जिसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। भगवान विष्णु ब्रह्मांड के सर्वोच्च स्वामी हैं। उनका एक नाम अनंतकोटिब्रह्मांडनायक है – असंख्य ब्रह्माण्डों के अधिपति।
भगवान विष्णु सर्वव्यापी- सर्वज्ञ-सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थ हैं। अच्युत भगवान विष्णु का दूसरा नाम है। अच्युत का अर्थ है “वह जो अपने निहित स्वभाव और शक्तियों को कभी नहीं खोएगा”। इस नाम का “अचल”, “अपरिवर्तनीय” भी अर्थ है, और इसलिए उसके लिये भी प्रयुक्त होता है “जो संसार के छः अनिवार्य परिवर्तनों से परे हैं, अच्युत अष्टकम भगवान विष्णु को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है और इसका जाप करने से व्यक्ति के जीवन के कई लाभ होते हैं।
अच्युताष्टकम के जप के लाभ
*जिससे चतुर्विद फल अर्थात धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष जो कि मानव जीवन के चार लक्ष्य हैं वे सभी प्राप्त होते हैं। धार्मिकता, जीवन के हर क्षेत्र में संपन्नता, सभी इच्छाओं की पूर्ति और आत्मज्ञान की प्राप्ति भी होती है।
*जिन व्यक्तियों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी कोई नतीजा नहीं मिल रहा है, उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों और कठिन समय से गुजरने के लिए इस अच्युतष्टकम का जाप करना चाहिए।
*वे व्यक्ति जो व्यवसाय, नौकरी ,रोजगार की कमी के कारण तनाव में हैं, जीवन के हर पहलू में लगातार असफलताएं मिलने पर इस अष्टक का जप करना चाहिए।
*छात्रों को अपनी पढ़ाई में सफलता पाने के लिए इसका जाप करना चाहिए।
*जो लोग किसी भी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इच्छुक हैं वे इस अष्टक का रोजाना जाप कर सकते हैं।
*अच्युतअष्टकम् स्तोत्रम का नियमित रूप से पाठ करने से मन की शांति मिलती है
*यह आपके जीवन से सभी बुराईयों को दूर रखता है और आपको स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनाता है।
*यह स्तोत्र आपके जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान प्रदान करता है।
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Wow ⚡⚡😘
Thanks dear😊💗
🙏🙏🙏🙏 Shri Krishnaye Namah 🙏🙏🙏🙏
Very nice.
🙏🌹🕉️ Namo Bhagwate Vasudevay🌹🙏
As soon as I make it offline all photos(Pictures) of Shri Krishna disappeared. Kindly make it visible in offline mode also.
🙏🙏🙏Om Namo Bhagwate Vasudevay🙏🙏🙏
Very very nice presentation. I am a regular reader of all these things. Many many thanks .
Om Namo Bhagavate Vasydevaya 🙏🙏Thank you so much
Oh! Thanks so much for this. I like shri krishna. Now it is easy for me to learn this song. It is very nice.🙏🏻 Jai Shri Krishna🙏🏻. 🙏🏻Radhe Radhe🙏🏻. 🙏🏻Jai Shri Radhe Krishna. 🙏🏻
So glad to know that you loved it…..May Lord Krishna bless you with His grace..hare Krishna …Radhe Radhe🙏🏼🧡