गर्ग संहिता में नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति

Shri Krishna Stuti by wives of Kaliya Naag in Garg Samhita

गर्गसंहितान्तर्गत नागपत्नीकृतकृष्णस्तुतिः| गर्ग संहितान्तर्गत नाग-पत्न्य कृत कृष्ण स्तुति| नागपत्नीकृतकृष्णस्तुतिः हिन्दी भावार्थ सहित | गर्ग संहिता में नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति| गर्गसंहिता में नाग पत्नी द्वारा रचा गया भगवान श्रीकृष्ण स्तोत्र | नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति हिन्दी अर्थ  सहित | नाग पत्नी कृत कृष्ण स्तुतिः | कृष्ण स्तुति | नाग पत्नियों द्वारा की गयी श्रीकृष्ण की स्तुति | Shri Krishna Stuti | Shri Krishna Stuti by wives of Kaliya Naag| कालिया नाग की पत्नियों द्वारा की गयी कृष्ण स्तुति | Shri Krishna Stuti by wives of Kaliya Naag in Garg Samhita | Naag Patni Krit Krishna Stuti| Naag Patni Krit Krishna stuti with hindi meaning| Naag Patni Krit Krishna Stuti hindi lyrics|| Naag Patni Krit Krishna stuti with meaning

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

 

 

गर्ग संहिता में नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति

 

 

गर्ग संहितान्तर्गत नाग-पत्न्य कृत कृष्ण स्तुति

 

 

Shri Krishna Stuti by wives of Kaliya Naag in Garg Samhita

 

 

॥ मूलपाठ ॥

॥ नागपत्न्यक ऊचुः ॥

नमः श्रीकृष्णचंद्रय गोलोकपतये नमः ।

असंख्यांडाधिपते परिपूर्णतमाय ते ॥ १८ ॥

 

नाग पत्नियाँ बोलीं – हे भगवन! आप परिपूर्ण परमात्मा और असंख्य ब्रह्माण्डों के अधिपति हैं। हे गोलोकनाथ श्रीकृष्णचन्द्र ! आप को हमारा बारंबार प्रणाम है ॥ १८ ॥

 

Namah Shrikrishnachandraya Golokpatye namah

Asankhyandaadhipate paripoorntamaya te.18

 

The snake wives said – Oh God! You are the perfect God and the ruler of innumerable universes. O Goloknath Shri Krishnachandra! We salute you again and again. 18 ॥

 

 

गर्गसंहिता में नाग पत्नी द्वारा रचा गया भगवान श्रीकृष्ण स्तोत्र

 

 

श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नमः ।

नमः श्रीनंदपुत्राय यशोदानंदनाय ते ॥ १९ ॥

 

हे व्रज के अधीश्वर ! हे श्रीराधावल्लभ ! आप को नमस्कार है। हे नन्द के लाला ! हे  यशोदा नन्दन ! आप को नमस्कार है ॥ १९ ॥

 

Shri Radhapataye tubhyam vrajadheeshaya te namah

namah shrinandputraya yashodanandnaya te.19

 

O Lord of Vraj! O Shriradhavallabh! Greetings to you. O son of Nand! O Yashoda Nandan! Greetings to you . 19 ॥

 

 

Naag patni krit stuti in garg sanhita with hindi meaning

 

पाहि पाहि परदेव पन्नगं

त्वत्परं न शरणं जगत्त्रये ।

त्वम् पदात्परतरो हरिः स्वयं

लीलया किल तनोषि विग्रहम् ॥ २० ॥

 

हे परमदेव ! आप इस नाग की रक्षा कीजिये ! रक्षा कीजिये। तीनों लोकों में आपके सिवा दूसरा कोई इसे शरण देने वाला नहीं है। आप स्वयं साक्षात श्री हरि हैं और अपनी लीला के कारण ही स्वच्छन्दतापूर्वक अपने नाना प्रकार के श्रीविग्रहों का विस्तार करते हैं ॥ १९ ॥

 

Paahi Paahi Pardev Pannagam

tvatparam n sharanam jagattraye

tvam padaatpartaro harih svayam

leelya kil tanoshi vigraham.20

 

O Supreme God! You protect this snake! Please protect. Apart from you, there is no one else in the three worlds who can give it shelter. You yourself are Shri Hari and because of your Leela, you freely expand your various kinds of incarnations.20

 

इति नागपत्नीकृतकृष्णस्तुतिः हिन्दी भावार्थ सहित समाप्त ।

 

 

 

Be a part of this Spiritual family by visiting more spiritual articles on:

The Spiritual Talks

For more divine and soulful mantras, bhajan and hymns:

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

For Spiritual quotes , Divine images and wallpapers  & Pinterest Stories:

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

For any query contact on:

E-mail id: thespiritualtalks01@gmail.com

 

 

 

 

 

By spiritual talks

Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!