Shrimad Achyutaashtakam with English and Hindi Meaning

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Shri Harinamashtakam with meaning

 

 

श्रीकेशवाच्युत मुकुन्द रथाङ्गपाणे

गोविन्द माधव जनार्दन दानवारे ।

नारायणामरपते त्रिजगन्निवास

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ १ ॥

 

हे जिह्वा ! सदैव , केशव ( सुन्दर , घने , घुंघराले केशों वाले / केशी दैत्य का वध करने वाले ) , अच्युत ( जो अपने स्थान से कभी हटते नहीं / गिरते नहीं  , जिनका कभी पतन नहीं होता , अटल , अडिग , सदा रहने वाले , जिनका कभी नाश नहीं होता ) , मुकुन्द ( मुक्ति प्रदान करने वाले ) , रथांगपाणि ( वह जो चक्र धारण करते हैं ) , गोविंद ( जो वेदों के / गौओं के संरक्षक हैं ) , माधव ( मा लक्ष्मी के पति / मधु और वसंत ऋतु के समान मधुर )  , जनार्दन ( जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति देने वाले ) , दानवारि ( असुरों के नाशक )  , नारायण ( जन्म न लेकर जल पर प्रकट होने वाले भगवान / जल ही जिनका निवासस्थान है ) , अमरपते ( देवों के स्वामी ) और  त्रिजगन्निवास ( वह जो समस्त ब्रह्मांड में रहते हैं / जो तीनों लोकों में निवास करते हैं ) इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो ।।1।।

 

 

Shri Harinamashtakam with English meaning

 

 

श्रीदेवदेव , मधुसूदन , शाङ्‌र्गपाणे

दामोदरार्णवनिकेतन , कैटभारे ।

विश्वंभाराभरणभूषित , भूमिपाल

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि  ॥ २॥

 

हे जिह्वा , सदैव श्री देवदेव ( देवताओं के भी ईश्वर ) , मधुसूदन (मधु दैत्य के नाशक) , शाङ्‌र्गपाणि ( वह जो सारंग को धारण करते हैं ) , दामोदर ( जो अपने उदर पर भक्तों के प्रेम और भक्ति रुपी रस्सी बांधते हैं ) , आर्णवनिकेतन ( जो क्षीर सागर में निवास करते हैं )  , कैटभारि ( कैटभ के शत्रु )  , विश्वंभर ( वह जो ब्रह्मांड का भार धारण करने वाले हैं ) , आभरणभूषित ( जो आभूषणों से अलंकृत है ) और भूमिपाल ( राजा )  इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।2।।

 

 

 

Shri Harinamashtakam with Hindi meaning

 

 

श्रीपद्मलोचन , गदाधर , पद्मनाभ

पद्मेश , पद्मपद , पावन , पद्मपाणे ।

पीताम्बराम्बररुचे , रुचिरावतार

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ३ ॥

 

हे जिह्वा ! श्रीपद्मलोचन (जिसके पास कमल के समान नेत्र हैं ) , गदाधर ( जो गदा धारण करते हैं ) , पद्मनाभ ( जो नाभि पर कमल धारण करते हैं ) , पद्मेश (जो पद्मा अर्थात लक्ष्मी के स्वामी हैं ) , पद्मपद ( जिसके चरण कमल के समान कोमल हैं ) , पावन ( जो पवित्र हैं ) , पद्मपाणि ( जो कमल धारण करते हैं ) , पीताम्बर ( जो पीले रेशमी वस्त्र धारण करते हैं ) , अम्बररुचे ( जो आकाश धारण करते हैं ) और रुचिरावतार ( जिसके बहुत ही रोचक अवतार हैं ) , इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।3।।

 

 

श्री हरि नाम अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

 

 

श्रीकान्त , कौस्तुभधरार्तिहराब्जपाणे

विष्णो , त्रिविक्रम , महीधर , धर्मसेतो ।

वैकुण्ठवास , वसुधाधिप , वासुदेव

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ४ ॥

 

हे जिह्वा ! सदैव श्रीकान्त  ( श्री के पति ) , कौस्तुभधर ( कौस्तुभ मणि के धारक ) , आर्तिहर ( कष्टों और परेशानियों को हरने वाले ) ,ब्जपाणि  ( कमल का फूल धारण करने वाले ) , विष्णु , त्रिविक्रम ( तीन पगों में तीनो लोक जीतने वाले ) ,  महीधर ( पृथ्वी को धारण करने वाले ) , धर्मसेतु ( जो धर्म के लिए सेतु हैं ) , वैकुण्ठवास ( वह जो वैकुंठ में निवास करते हैं ) , वसुधाधिप ( पृथ्वी के अधिपति हैं ) , वासुदेव ( वसुदेव के पुत्र हैं ) इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।4।।

 

 

 

Shri Hari Naam Ashtakam with hindi meaning

 

 

श्रीनारसिंह , नरकान्तक , कान्तमूर्ते

लक्ष्मीपते , गरुडवाहन , शेषशायिन् ।

केशीप्रणाशन , सुकेश , किरीटमौले

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ५ ॥

 

हे जिह्वा ! , सदैव , नरसिंह, नरकान्तक ( नरक का अंत करने वाले ) , कान्तमूर्ते ( सुन्दर मुख वाले ) , लक्ष्मीपते ( लक्ष्मी के अधिपति ) , गरुड़वाहन ( गरुड़ की सवारी करने वाले )  , शेषशायिन् (वह जो शेष की शय्या पे सोते हैं ) , केशीप्रणाशन ( केशी दैत्य के प्राणों का नाश करने वाले ) ,  सुकेशी ( सुन्दर केश वाले ) और किरीटमौलि ( मस्तक पर मुकुट धारण करने वाले ) इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।5।।

 

 

श्री हरि नाम अष्टकम हिंदी अर्थ सहित

 

 

श्रीवत्सलाञ्छन , सुरर्षभ , शङ्खपाणे

कल्पान्तवारिधिविहार , हरे , मुरारे ।

यज्ञेश , यज्ञमय , यज्ञभुगादिदेव

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ६ ॥

 

हे जिह्वा ! सदैव , श्रीवत्सलाञ्छन  ( जिसके पास श्री वत्स का निशान है ) , सुरर्षभ  ( देवों के स्वामी ) , शङ्खपाणि जो शंख धारण करते हैं ) , हरि / हरे  ( वह जो विष्णु है / जो पाप और कष्ट हर लेते हैं ) , मुरारी / मुरारे ( जिसने मुर राक्षस का संहार किया ) ,  कल्पान्तवारिधिविहार ( जो कल्प के अंत में जलप्रलय के जल में क्रीड़ा करेंगे ) , यज्ञेश ( वह जो यज्ञ के देवता हैं ) , यज्ञमय ( यज्ञ से युक्त हैं / यज्ञ का स्वरूप हैं ) और यज्ञभुगादिदेव ( यज्ञ का आनंद लेने वाले प्रधान भगवान हैं ) , इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।6।।

 

Shri Hari nama ashtakam English Lyrics

 

 

श्रीराम , रावणरिपो , रघुवंशकेतो

सीतापते , दशरथात्मज , राजसिंह ।

सुग्रीवमित्र , मृगवेधन , चापपाणे

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ७ ॥

 

हे जिह्वा ! सदैव , श्रीराम ( आनंदमय ) , रावणरिपो ( जो रावण के शत्रु हैं ) , रघुवंशकेतो ( रघुकुल के तारे ) , सीतापते  ( सीता के भगवान ) , दशरथात्मज ( दशरथ के पुत्र ) , राजसिंह ( राजाओं में सिंह ) , सुग्रीवमित्र ( सुग्रीव के मित्र ) , मृगवेधन ( मृग का वध करने वाले ) और चापपाणि ( हाथों में धनुष धारण करने वाले ) , इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।7।।

 

श्रीकृष्ण , वृष्णिवर , यादव , राधिकेश

गोवर्द्धनोद्धरण , कंसविनाशशौरे ।

गोपाल , वेणुधर , पाण्डुसुतैकबन्धो

जिह्वे जपेति सततं मधुराक्षराणि ॥ ८ ॥

 

हे जिह्वा , सदैव , श्रीकृष्ण ( सर्व आकर्षक ) , वृष्णिवर ( वृष्णि कुल के आशीर्वाद ) , यादव ( यदुवंशी / ग्वाले / चरवाहे ) , राधिकेश ( राधा के स्वामी ) , गोवर्द्धनोद्धरण  ( वह जिसने गोवर्धन उठाया ) , कंसविनाशशौरे ( वह जिसने कंस का वध किया / जो कंस के शत्रु हैं ) , गोपाल ( गौओं के संरक्षक/ पालनकर्ता ) , वेणुधर ( वह जो बांसुरी धारण करता है ) और पाण्डुसुतैकबन्धो ( पांडु के पुत्रों के मित्र हैं ) , इन मधुर अक्षरों का निरंतर जप करो।।8।।

 

इत्यष्टकं भगवतः सततं नरो यः

नामाङ्कितं पठति नित्यमनन्यचेताः ।

विष्णोः परं पदमुपैति पुनर्न जातु

मातुः पयोधररसं पिबतीह सत्यम् ॥ ९ ॥

 

जो मनुष्य प्रतिदिन भगवान के नामों के इस अष्टकम को मन लगाकर पढ़ेगा, वह विष्णु के परम स्थान को प्राप्त करेगा, और वास्तव में कभी भी माँ का दूध नहीं पिएगा अर्थात दुबारा मनुष्य जन्म प्राप्त नहीं करेगा ।।9।।

 

 

इति श्रीमत्परमहंस स्वामीब्रह्मानन्द विरचितं हरिनामाष्टकम।

 

 

श्री हरि नामाष्टकम पढ़ने के लाभ –

 

जो मनुष्य प्रतिदिन भगवान के नामों के इस अष्टकम को मन लगाकर पढ़ेगा, वह विष्णु के परम स्थान को प्राप्त करेगा, और  दुबारा मनुष्य जन्म प्राप्त नहीं करेगा। इस संसार के जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करेगा । 

 

 

 

 

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