Kathopnishad with Hindi meaning/कठोपनिषद् हिंदी अर्थ सहित / कथा उपनिषद् / Katha Upanishad / यम और नचिकेता संवाद
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प्राणी इस धरा-धाम में एक अनंत शून्य से खाली हांथ आता है और यहाँ पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, लाभ-हानि, धन-दौलत व रिश्ते-नाते बनाते हुए खाली हांथ पुनः उसी शून्य में वापिस लौट जाता है। जब वह लौटता है तो भगवान धर्मराज यमराज की सभा में हाथ बांधे अपने पाप-पुण्य का लेखा-जोखा सुनते हुए खड़ा रहता है। भगवान यमराज को समर्पित यह कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा से सम्बन्धित है जिसमें यम और नचिकेता के संवाद द्वारा ब्रह्मविद्या का सुंदर विवेचन किया गया है |
कृष्ण यजुर्वेद शाखा का यह उपनिषद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपनिषदों में है। इस उपनिषद के रचयिता कठ नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे वैशम्पायन मुनि के शिष्य तथा यजुर्वेद की कठशाखा के प्रवृर्त्तक थे। इसमें दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियां हैं, जिनमें वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता और यम के बीच संवाद हैं। भर्तु प्रपंच ने कठ और बृहदारण्यक उपनिषदों पर भी भाष्य रचना की थी।
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय प्रथम वल्ली सार
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय प्रथम वल्ली
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय द्वितीय वल्ली सार
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय द्वितीय वल्ली
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय तृतीय वल्ली सार
कठोपनिषद् प्रथम अध्याय तृतीय वल्ली
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय प्रथम वल्ली सार
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय प्रथम वल्ली
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय द्वितीय वल्ली सार
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय द्वितीय वल्ली
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय तृतीय वल्ली सार
कठोपनिषद् द्वितीय अध्याय तृतीय वल्ली