लंबा मारग दूरि घर, बिकट पंथ बहु मार।
कहौ संतों क्यूं पाइए, दुर्लभ हरि दीदार।
घर दूर है मार्ग लंबा है रास्ता भयंकर है और उसमें अनेक पातक चोर ठग हैं। हे सज्जनों ! कहो , भगवान् का दुर्लभ दर्शन कैसे प्राप्त हो?संसार में जीवन कठिन है । अनेक बाधाएं हैं, विपत्तियां हैं । उनमें पड़कर हम भरमाए रहते हैं ।बहुत से आकर्षण हमें अपनी ओर खींचते रहते हैं । हम अपना लक्ष्य भूलते रहते हैं। अपनी पूंजी गंवाते रहते हैं।