Kabir das ke dohe hindi arth sahit

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sant kabirdas ke dohe with hindi meaning

 

 

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माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे । 

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। 

मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार । 

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर । 

मन के हारे हार है मन के जीते जीत । 

मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख। 

मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह। 

माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए । 

मनहिं मनोरथ छांडी दे, तेरा किया न होइ । 

मैं मैं मेरी जिनी करै, मेरी सूल बिनास । 

मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै । 

मैं मैं बड़ी बलाय है, सकै तो निकसी भागि। 

मूरख संग न कीजिए ,लोहा जल न तिराई। 

मन मरया ममता मुई, जहं गई सब छूटी। 

मन मैला तन ऊजला बगुला कपटी अंग । 

मन राजा नायक भया, टाँडा लादा जाय। 

मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सब तोर।

माया तो ठगनी भई, ठगत फिरै सब देस।

मांग गये सो मर रहे, मरै जु मांगन जांहि।

माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि माहि परन्त।

भक्तन की यह रीति है, बंधे करे जो भाव।

भक्ति निसैनी मुक्ति की, संत चढ़े सब धाय।

भक्ति पदारथ तब मिले, जब गुरू होय सहाय।

लूट सके तो लूट ले, हरि नाम की लूट । 

लंबा मारग दूरि घर, बिकट पंथ बहु मार। 

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।

झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद। 

झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह। 

झूठे को झूठा मिले, दूंणा बंधे सनेह । 

दीपक सुन्दर देखि करि, जरि जरि मरे पतंग।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय । 

दुरबल को न सताइये, जाकी मोटी हाय।

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त। 

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार। 

देह धरे का दंड है सब काहू को होय । 

देह खेह होय जायगी, कौन कहेगा देह। 

 

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