मन राजा नायक भया, टाँडा लादा जाय।
है है है है है रही, पूँजी गयी बिलाय।
मन-राजा बड़ा भारी व्यापारी बना और विषयों का टांडा अर्थात बहुत सारा सौदा जाकर लाद लिया। लोग कह रहे हैं कि भोगों-एश्वर्यों में लाभ है, परन्तु इसमें पड़कर मानवता की पूँजी भी नष्ट हो जाती है।