Venkateshwara Suprabhatam with meaning | Venkateswara Suprabhatam Lyrics and meaning |Sri Venkatesa Suprabhatam – In sanskrit with meaning | श्रीवेङ्कटेश सुप्रभातम् | Sri Venkatesa Suprabhatam | श्री वेंकटेश्वर सुप्रभातम हिंदी अर्थ सहित | Shri Venkateshvara Suprabhatam hindi and english lyrics with meaning | Venkateshwara Suprabhatam with hindi and english meaning
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कौसल्या सुप्रजा राम पूर्वासन्ध्या प्रवर्तते ।
उत्तिष्ठ नरशार्दूल कर्त्तव्यं दैवमाह्निकम् ॥१॥
श्री गोविंदा को नमस्कार! हे राम ! कौशल्या के सबसे उत्कृष्ट पुत्र; पूर्व में रात और दिन के इस खूबसूरत मोड़ पर भोर तेजी से निकट आ रही है; सूर्य पूर्वी आकाश में उगने वाला है। हे पुरूषोत्तम! कृपया हमारे हृदयों में जागो ताकि हम आपके प्रति दिव्य अनुष्ठानों के रूप में अपने दैनिक कर्तव्यों का पालन कर सकें और इस प्रकार अपने जीवन का अंतिम कर्तव्य निभा सकें। कृपया प्रातःकाल अर्घ्य देने के लिए उठें।।1।।
Kausalyaa Su-Prajaa Raama Puurvaa-Sandhyaa Pravartate |
Uttissttha Nara-Shaarduula Karttavyam Daivam-Aahnikam ||1||
(Salutations to Sri Govinda) O Rama, the most Excellent Son of Kaushalya; in the East the Dawn is fast approaching in this Beautiful juncture of Night and Day, the sun is about to rise in the eastern skies; Please Wake Up in Our Hearts, O Purushottama (the Best of Men ) so that we can perform our Daily Duties as Divine Rituals unto You and thus do the Ultimate Duty of our lives. please arise to offer the early morning oblations.1
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज ।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु ॥२॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर सुबह में जागो, हे गोविंदा हमारे दिल में जाग जाओ। हे गरुड़ को अपनी ध्वजा में धारण करने वाले जागो; हे कमला प्रिय, कृपया जागो और तीनों लोकों में भक्तों के दिलों को अपनी उपस्थिति के शुभ आनंद से भर दो। ब्रह्मांड को अपनी सुरक्षा और सांत्वना प्रदान करने के लिए अपनी नींद को त्याग दें।।2।।
Uttissttho[ah-U]ttissttha Govinda Uttissttha Garudda-Dhvaja |
Uttissttha Kamalaa-Kaanta Trai-Lokyam Manggalam Kuru ||2||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Wake Up, Wake Up O Govinda within Our Hearts. Wake Up O the One with Garuda in His Flag,Please Wake Up, O Beloved of Kamala and fill the Hearts of the Devotees in the Three Worlds with the Auspicious Bliss of Your Presence.Cast aside your sleep to bestow your protection and solace to the Universe.2
मातस्समस्तजगतां मधुकैटभारेः
वक्षोविहारिणि मनोहरदिव्यमूर्ते ।
श्रीस्वामिनि श्रितजनप्रियदानशीले
श्रीवेङ्कटेशदयिते तव सुप्रभातम् ॥३॥
(दिव्य मां लक्ष्मी को नमस्कार) हे श्री लक्ष्मी ! आप महाविष्णु के हृदय में निवास करती हैं अर्थात हम श्री गोविंदा के हृदय में केवल आपके सुंदर दिव्य स्वरूप को ही स्थित देखते हैं; हे सभी संसारों की माता! इस सुन्दर सुबह हमारे आंतरिक शत्रु मधु और कैटभ गायब हो जाएं। हे सुंदर प्रभु ! आप सभी लोकों के स्वामी हैं और भक्तों के अत्यंत प्रिय के रूप में पूजे जाते हैं और आपके उदार स्वभाव ने सृष्टि में इतनी प्रचुरता पैदा की है कि आप उन सभी लोगों को सब प्रकार के लाभ प्रदान करने वाले हैं जो आपके चरणों में गिरते हैं। हे प्रिय भगवान वेंकटेश्वर ! यह आपकी महिमा है कि आपकी रचना के इस सुन्दर भोर को स्वयं आपके द्वारा संजोया जा रहा है। आपको सुप्रभात ! मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूं।।3।।
Maatas-Samasta-Jagataam Madhu-Kaittabha-Areh
Vaksso-Vihaarinni Manohara-Divya-Muurte |
Shrii-Svaamini Shrita-Janapriya-Daanashiile
Shrii-Vengkattesha-Dayite Tava Suprabhaatam ||3||
(Salutations to Divine Mother Lakshmi) In this Beautiful Dawn, O Mother of all the Worlds, Let Our Inner enemies Madhu and Kaitabh disappear, And Let us only see Your Beautiful Divine Form playing within the Heart of Sri Govinda in the entire Creation, You are worshipped as the Lord of all the Worlds and extremely Dear to the Devotees; and Your Liberal Disposition has created such Abundance in Creation, Such is Your Glory that this Beautiful Dawn of Your Creation is being cherished by Sri Venkatesa Himself. O bestower of all benefits to those who fall at His feet, O dear and beloved one to Lord Venkateswara, Good Morning to You ! I offer these morning Pranams to you.3
तव सुप्रभातमरविन्दलोचने
भवतु प्रसन्नमुखचन्द्रमण्डले ।
विधिशङ्करेन्द्रवनिताभिरर्चिते
वृशशैलनाथदयिते दयानिधे ॥४॥
हे देवी, आपको सुप्रभात, जिनकी आंखें कमल के समान और पूर्णिमा के चंद्रमा का उज्ज्वल मुख है; हम आपके कमल-नेत्रों के भीतर की इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना को देखते हैं । हम आपके दयालु चंद्रमा के समान प्रभामंडल के भीतर विद्यमान सृष्टि को देखते हैं । ब्रह्मा, शंकर तथा इंद्र की पत्नियां आपको नमस्कार करती हैं और उनके द्वारा आपकी सेवा और पूजा की जाती है। हे वृषभाद्रि पर्वत के नाथ की प्रिय ! आप करुणा की सागर है। आपकी करुणा का सागर संसार में प्रचुर मात्रा में विद्यमान है जिसे वृषभद्र पर्वत के स्वामी द्वारा पोषित किया जाता है ।।4।।
Tava Suprabhaatam-Aravinda-Locane
Bhavatu Prasanna-Mukha-Candra-Mannddale |
Vidhi-Shangkare[a-I]ndra-Vanita-Abhir-Arcite
Vrsha-Shaila-Naatha-Dayite Dayaa-Nidhe ||4||
(Salutations to Divine Mother Lakshmi) O Devi, good morning to you whose eyes are like the lotus and the bright face of the full moon; In this Beautiful Dawn of Yours, we see the Creation within Your Lotus-Eyes, we see the Creation existing within the Halo of Your Compassionate Moon-Face, the consorts of Brahma, Sankara and Indra pay their respects to you the ocean of mercy dear to the Lord of the Vrishabadri. Your Ocean of Compassion manifested in Creation as Abundance is cherished by the Lord of Vrishabhadra Hill.4
अत्र्यादिसप्तऋषयस्समुपास्य सन्ध्यां
आकाशसिन्धुकमलानि मनोहराणि ।
आदाय पादयुगमर्चयितुं प्रपन्नाः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥५॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) हे सहाद्रि के निवासी, अत्रि सहित पवित्र सप्त ऋषि, आकाश गंगा के पास जिसमें सुन्दर कमल खिल रहे हैं , अपनी भोर संध्या करने के बाद, आपके सुन्दर चरण कमलों में कमल और नदियों का जल अर्पित कर रहे हैं, और फिर आपके कमल चरणों में शरण लेते हुए वे उनकी पूजा कर रहे हैं, कृपया उसे प्राप्त करें। (सप्त-ऋषि गा रहे हैं) , हे गोविंदा जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए , आपको सुप्रभात है। मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ ।।5।।
Atryaadi-Sapta-Rssayas-Samupaasya Sandhyaam
Aakaasha-Sindhu-Kamalaani Manoharaanni |
Aadaaya Paada-Yugam-Arcayitum Prapannaah
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||5||
(Salutations to Sri Govinda) O resident of Sehadri, In this Beautiful Dawn when the Night is meeting the Day, Sage Atri and other Sapta Rishis are chanting the Morning Prayers together near the Aakash Ganga River on which is blossoming the Beautiful Lotuses; And then taking Refuge in Your Lotus Feet they are Worshipping them with lotuses and holy waters , Please recieve them (The Sapta-Rishis are Singing) Good Morning to You, O Govinda! the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.5
पञ्चाननाब्जभवषण्मुखवासवाद्याः
त्रैविक्रमादिचरितं विबुधाः स्तुवन्ति ।
भाषापतिः पठति वासरशुद्धिमारात्
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥६॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में, श्री पंचानन ( पञ्चमुखी ब्रह्मा) कमल पर विराजमान, श्री शनमुख (छह-मुखी सुब्रमण्यम), इंद्र देव और अन्य देव, त्रिविक्रम (जिसने अपने कदमों से तीनों लोकों को ढक लिया) आदि आपके अन्य अवतारों के दिव्य कर्मों की प्रशंसा कर रहे हैं, पवित्र वाणी के भगवान श्री बृहस्पति दिन को शुद्ध करने के लिए पवित्र भजनों का पाठ कर रहे हैं, (देवता गा रहे हैं) हे गोविंदा, जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए , आपको सुप्रभात ; मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ।।6।।
Pancha-[A]anana-Abja-Bhava-Shannmukha-Vaasava-[A]adyaah
Traivikrama-[A]adi-Charitam Vibudhaah Stuvanti |
Bhashaa-Patih Patthati Vaasara-Shuddhimaaraat
Sheshaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||6||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn, Sri Panchanana (Five-Faced Brahma) abiding on Lotus, Sri Shanmukha (Six-Faced Subramaniya), Indra Deva and Other Devas, Are praising the Divine Deeds of Trivikrama (Who covered the 3 worlds with his steps) and other Incarnations of Yours, Sri Brihaspati, the Lord of Sacred Speech is Reciting the Sacred Hymns to Purify the Day, (The Gods are Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Good Morning to You ! Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.6
ईषत्प्रफुल्लसरसीरुहनारिकेल
पूगद्रुमादिसुमनोहरपालिकानाम् ।
आवाति मन्दमनिलस्सह दिव्यगन्धैः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥७॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर सुबह में झील में हल्के से खिले हुए कमल , रोप हुए धान के खेत तथा नारियल , सुपारी और अन्य पेड़ झील के किनारे सुंदरता पूर्वक से लगे हुए हैं। हे भगवान, सुबह की हवा सुखद सुगंध लेकर चल रही है और हम आपकी दिव्य सुगंध से भरी हुई हल्की हवा में आपकी पूजा कर रहे हैं, (पेड़ गा रहे हैं) हे गोविंदा ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ।।7।।
Iissat-Praphulla-Sarasiiruha-Naarikela
Puuga-Druma-[A]adi-Sumanohara-Paalikaanaam |
Aavaati Mandam-Anilas-Saha Divya-Gandhaih
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||7||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn, The slightly Blooming Lotuses on the Lake, transplanted young paddy fields and the Coconut, Betel-Nut and other Trees Beautifully set along the edge of the Lake are Worshipping You O Lord, by blowing Gentle Breeze towards You which is filled with Divine Fragrance, (The Trees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Good Morning to you ! Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.7
उन्मील्य नेत्रयुगमुत्तमपञ्जरस्थाः
पात्रावशिष्टकदलीफलपायसानि ।
भुक्त्वा सलीलमथ केलिशुकाः पठन्ति
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥८॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर सुबह में, मंदिर के तोते आपके पूजा के बर्तनों में फल, पायसा का स्वाद चखकर और अपनी प्यास बुझाकर आनंदपूर्वक गा रहे हैं गा रहे हैं और उन्हें खेल-खेल में खाने के बाद, वे खेल-खेल में आपके भजन सुना रहे हैं, हे गोविंदा ! हे वेंकटेश्वर ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ।।8।।
Unmiilya Netra-Yugam-Uttama-Pan.jarasthaah
Paatra-Avashisstta-Kadalii-Phala-Paayasaani |
Bhuktvaa Saliilam-Atha Keli-Shukaah Patthanti
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||8||
O Venkateswara, the temple parrots are singing pleasantly after having tasted the fruits, payasa in your Pooja vessels and quenching their thirst; I pray for a good morning to You (Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn, opening their pair of Eyes those excellent Parrots living within the Cage, See Your Prasad consisting of Sweet Payasam mixed with Bananas Leftover in their Bowls; And having eaten them Playfully, they are Playfully Reciting Your Hymns, (The Parrots are Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.8
तन्त्रीप्रकर्षमधुरस्वनया विपञ्च्या
गायत्यनन्तचरितं तव नारदोऽपि ।
भाषासमग्रमसकृत्करचाररम्यं
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥९॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में ऋषि नारद की वीणा का तार अत्यंत मधुर संगीत उत्सर्जित कर रहा है, और नारद मुनि अपने मधुर संगीत वाद्ययंत्रों के साथ आपके अनंत दिव्य कर्मों का , आपकी अंतहीन कहानियों गान कर रहे हैं, और सुंदर हाथों के इशारों से मनमोहक संगीत पर नृत्य कर रहे हैं, और आपके कर्मों के सभी वर्णन सभी दिशाओं में ( बार-बार) धाराओं में फैल रहे हैं जो भक्तों के लिए आनंददायक हैं, (ऋषि नारद गा रहे हैं) हे गोविंदा ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ।।9।।
Tantrii-Prakarssa-Madhura-Svanayaa Vipanchyaa
Gaayaty-Ananta-Caritam Tava Naarado[a-A]pi |
Bhaassaa-Samagram-Asakrt-Kara-Caara-Ramyam
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||9||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the string of the Lute of Sage Narada is emitting exceedingly Sweet Music, And With his melodious musical instruments Sage Narada is Singing Your Endless Divine Deeds and your endless stories , dancing to the enchanting music with lovely hand gestures And all those descriptions of Your Deeds spreading out ( i.e. wandering ) in streams (i.e. repeatedly ) in all Directions are delightful to the Devotees, (Sage Narada is Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Good Morning To You ! Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.9
भृङ्गावली च मकरन्दरसानुविद्ध
झङ्कारगीतनिनदैस्सह सेवनाय ।
निर्यात्युपान्तसरसीकमलोदरेभ्यः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥१०॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में मधुमक्खियों का झुंड जो शहद के रस से भरपूर कमल के फूलों के भीतर पूरी रात रह रहा था शहद का स्वाद लेकर और मकरंद पराग लेकर आपके दर्शन की प्रतीक्षा में बाहर आ गया है और भोर में आपके गूंजते संगीत की मधुर ध्वनि के साथ आपकी आराधना कर रहा है। जब वे कमल के फूलों के अंदरूनी भाग से झील के किनारे की ओर निकले। (मधुमक्खियाँ गा रही हैं) हे गोविंदा ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ।।10।।
Bhrnggaavalii Ca Makaranda-Rasa-Anuviddha
Jhangkaara-Giita-Ninadais-Saha Sevanaaya |
Niryaaty-Upaanta-Sarasii-Kamalo[a-U]darebhyah
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||10||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the swarm of Bees who were staying all Night within the Lotus Flowers abounding in the Juice of Honey has come out after tasting the honey and carrying makharanda pollen, waiting for your darshans. Worshipping You at Dawn with the Sweet Sound of their Buzzing Music after they came out of the interior of the Lotus Flowers towards the edge of the lake. (The Bees are Singing) Good Morning to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.10
योषागणेन वरदध्नि विमथ्यमाने
घोषालयेषु दधिमन्थनतीव्रघोषाः ।
रोषात्कलिं विदधते ककुभश्च कुम्भाः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥११॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर सुबह में ग्वाल – ग्वालिनें सर्वोत्तम दही का उत्पादन करने में लगी हुई हैं, उनके घरों से दही मथने की तेज़ आवाज़ आ रही है, जहां उनकी मथनी की छड़ें और ऊंचे घड़े सर्वोत्तम दही का उत्पादन करने के लिए भावुक संघर्ष में लगे हुए हैं, ( ग्वालिनें गा रही हैं) हे गोविंदा ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली हो।।11।।
Yossaa-Gannena Vara-Dadhni Vi-Mathyamaane
Ghossa-[A]alayessu Dadhi-Manthana-Tiivra-Ghossaah |
Rossaat-Kalim Vidadhate Kakubhashca Kumbhaah
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||11||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Cowherd Girls are engaged in producing the best of Curds, The loud sound of Churning of the Curds are coming from their Houses, Where their Churning Rods and lofty Pitchers are engaged in passionate strife to produce the best of Curds, (The Cowherd Girls are Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.May this morning be glorious to you.11
पद्मेशमित्रशतपत्रगतालिवर्गाः
हर्तुं श्रियं कुवलयस्य निजाङ्गलक्ष्म्या ।
भेरीनिनादमिव बिभ्रति तीव्रनादं
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥१२॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर सुबह में, हे नाभि में कमल के स्वामी और विश्व के पालनकर्ता, सौ पंखुड़ियों वाले कमल के भीतर मधुमक्खियों का झुंड, जिन्होंने अपनी नीली चमक (जो कि श्री विष्णु का रंग है) को प्राप्त कर लिया है, नीली कुमुदिनी की चमक, वे अपनी तेज़ गुंजन ध्वनि जो कि ढोल के स्वर के समान प्रतीत होती है , के साथ संदेश दे रहे हैं कि भोर नीले रूप (यानी श्री विष्णु) के उदय की तरह प्रतीत होती है, (मधुमक्खियाँ गा रही हैं) हे गोविंदा ! जो शेषाद्रि पर्वत के शिखर पर प्रकट हुए; आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली हो।।12।।
Padme[a-Ii]sha-Mitra-Shata-Patra-Gata-Ali-Vargaah
Hartum Shriyam Kuvalayasya Nija-Angga-Lakssmyaa |
Bherii-Ninaadam-Iva Bibhrati Tiivra-Naadam
Shessaadri-Shekhara-Vibho Tava Suprabhaatam ||12||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn, O possessor of Lotus in the Navel and sustainer of the World, bees are trying to steal away the bluish brightness of the flowers and the sound of the drums. The swarm of Bees within the Hundred-Petalled Lotuses, Who have surpassed in their Blue Lustre (which is the Color of Sri Vishnu), the Lustre of the Blue Water Lily’s own form, Are conveying with their loud Humming Sound which appears like the Sound of the Kettle-Drum, the Rise of the Blue Form (i.e. Sri Vishnu) in the Dawn, (The Bees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the One Who Manifested on the Peak of the Seshadri Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.12
श्रीमन्नभीष्टवरदाखिललोकबन्धो
श्रीश्रीनिवास जगदेकदयैकसिन्धो ।
श्रीदेवतागृहभुजान्तरदिव्यमूर्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१३॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में भक्त आपका आह्वान कर रहे हैं, हे गोविंदा, श्री के स्वामी, भक्तों के मनवांछित वरदानों के दाता और संपूर्ण विश्व के मित्र, करुणासागर , भक्त आपका आह्वान कर रहे हैं। हे श्रीनिवास ! दुनिया में एकमात्र (पुरुष) जो करुणा का सागर है, दिव्य रूप वाला वह जिसके ह्रदय में दिव्य माता श्री ( लक्ष्मी ) का निवास है, (भक्त गा रहे हैं) हे देवताओं के निवास गृह में आकर्षक सुंदर रूप वाले भगवान ! हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली हो।।13।।
Shriimann[t]-Abhiisstta-Varada-Akhila-Loka-Bandho
Shrii-Shriinivaasa Jagad-Eka-Daya-i[E]ka-Sindho |
Shrii-Devataa-Grha-Bhujaantara-Divya-Muurte
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||13||
O Srinivasa, bestower of all desired boons, closest kith and kin of the universe, ocean of compassion, , (Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Devotees are Invoking You, O Govinda, the possessor of Sri, the desired end of the Devotees, Giver of Boons and Friend of the Entire World, The Devotees are Invoking You O Sri Srinivasa, the One (Purusha) in the World Who is the One Ocean of Compassion, The One with Divine Form Whose chest is the Abode of Divine Mother Sri, (The Devotees are Singing) Good Morning to You, O Govinda, O Lord of charming beautiful form in the abode of the Gods! the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours. let this morn bring glory to you.13
श्रीस्वामिपुष्करिणिकाप्लवनिर्मलाङ्गाः
श्रेयोऽर्थिनो हरविरिञ्चसनन्दनाद्याः ।
द्वारे वसन्ति वरवेत्रहतोत्तमाङ्गाः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१४॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में शुद्ध शरीर वाले (श्री शिव, श्री ब्रह्मा आदि) ने श्री स्वामी पुष्करिणी (मंदिर के दिव्य सरोवर ) में स्नान किया है, वे शुद्ध शरीर वाले श्री हर (श्री शिव), श्री विरंचि (श्री ब्रह्मा), ऋषि सनन्दन और अन्य ऋषि जो आपके सर्वश्रेष्ठ भक्त हैं, आपके मंदिर के द्वार की ओर बढ़ रहे हैं , अपने हाथों में रतन बेंत (भीड़ को नियंत्रित करने के लिए) उठाए हुए इंतजार कर रहे हैं जहां आपके सबसे उत्कृष्ट अनुचर रह रहे हैं , जो आपके वरदान देने वाले अनुचरों से प्रभावित हुए हैं (और इसलिए आपके सानिध्य में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है), (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।14।।
Shrii-Svaami-Pusskarinnika-[A]aplava-Nirmala-Anggaah
Shreyo[as-A]rthino Hara-Virin.ca-Sanandana-Adyaah |
Dvaare Vasanti Vara-Vetra-Hato[a-U]ttama-Anggaah
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||14||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Pure-Bodied Ones (Sri Shiva, Sri Brahma etc) having taken their holy dip in the Sri Swami Pushkarini (the temple tank), Those Pure Bodied Ones Sri Hara (Sri Shiva), Sri Virinchi (Sri Brahma), Sage Sanandana and Other Sages Who are Your Best Devotees, Are proceeding for your Dharsan with their hands raised holding the rattan cane (for controlling the crowds) towards the Gate of Your Shrine where are staying Your most Excellent Retinue who have been struck by Your Boon-Giving Staff (and hence blessed to be in your close company), (The Devotees are Singing) Good morning to you , O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours. Glorious morning to you.14
श्रीशेषशैल गरुडाचलवेङ्कटाद्रि
नारायणाद्रि वृषभाद्रिवृषाद्रि मुख्याम् ।
आख्यां त्वदीयवसतेरनिशं वदन्ति
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१५॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) हे वेंकटेश, आपकी जय हो, जिनके निवास स्थान का वर्णन पवित्र ग्रंथों में सदैव किया गया है, जैसे शेषचल, गरुड़ाचल , वेंकटाद्रि, नारायणाद्रि, वृषभहाद्रि और वृषभाद्रि पर्वत । इस सुन्दर भोर में भक्त शेषाद्रि , गरुड़चल , वेंकटाद्रि , नारायणाद्रि , वृषभाद्री , वृषाद्रि आदि प्रमुख पर्वतों को याद कर रहे हैं। भक्त कहते हैं कि आप इन पर्वतों में निरंतर निवास करते हैं, (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।15।।
Shrii-Shessashaila Garuddaacala-Vengkattaadri
Naaraayannaadri Vrssabhaadri-Vrssaadri Mukhyaam |
Aakhyaam Tvadiiya-Vasater-Anisham Vadanti
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||15||
(Salutations to Sri Govinda) Glory to you O Venkatesh, whose abode is described incessantly in the Holy books, variously as Seshachala, Garudachala, Venkatadri, Narayanadri, Vrishabahadri and Vrishadri. In this Beautiful Dawn the Devotees are Remembering the Sheshadri Hill, the Garudachala Hill, the Venkatadri Hill, the Narayanadri Hill, the Vrishabhadri Hill, the Vrishadri Hill which are the Chief among the Hills named where the Devotees say that You Dwell Incessantly, (The Devotees are Singing) Glorious Good Morning to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.15
सेवापराश्शिवसुरेशकृशानुधर्म
रक्षोऽम्बुनाथ पवमान धनादिनाथाः ।
बद्धाञ्जलि प्रविलसन्निजशीर्ष देशाः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१६॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस उत्कृष्ट भोर में आठ दिक्पाल (आठ दिशाओं के संरक्षक देवता) जो आपकी सेवा करने के इच्छुक हैं – शिव (ईशान), इंद्र (देवों के भगवान), कृष्णु (अग्नि या भगवान) अग्नि), धर्म (धर्मराज या यम), राक्षस (निरुथी), वरुण (जल के भगवान) और कुबेर (धन के भगवान), अपनी हथेलियाँ भक्ति में जोड़े हुए , श्रद्धा से हाथ बांधे हुए खड़े हैं , सिर झुकाए हुए , आपकी सेवा करने की इच्छा से और उनके सिर दिव्य प्रकाश से चमक रहे हैं, (दिक्पाल गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।16।।
Sevaa-Paraash-Shiva-Sure[a-Ii]sha-Krshaanu-Dharma
Raksso[as-A]mbunaatha Pavamaana Dhana-Adinaathaah |
Baddha-An.jali Pravilasan-Nija-Shiirssa Deshaah
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||16||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Eight Dikpalas (Guardian deities of the eight directions) who are Intent upon Serving You – Shiva (Ishana), Indra ( the Lord of the Devas ), Krishanu (Agni or God of Fire), Dharma (Dharmaraja or Yama), Rakshasa (Niruthi), Varuna ( the Lord of Water ) and Kubera ( the Lord of Wealth ) desirous of serving you are standing with their Palms joined in Devotion , with their heads bowed with their hands tied in front in reverence are waiting for you and their Heads are shining with Divine Glow, (The Dikpalas are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.16
धाटीषु ते विहगराज मृगाधिराज
नागाधिराज गजराज हयाधिराजाः ।
स्वस्वाधिकार महिमाधिकमर्थयन्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१७॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) हे वेंकटेश ! इस मनोहर भोर में आपके वाहन – गरुड़ (पक्षियों का राजा), शेर (जानवरों का राजा) , आदिशेष (सांपों का राजा), ऐरावत (हाथियों का राजा) और उच्चैश्रवस (घोड़ों का राजा), आपकी उत्कृष्ट सेवा करने के लिए अपने-अपने कर्तव्यों में अपनी महानता बढ़ाने के लिए , आपकी कृपापूर्ण स्वीकृति की चाह में, अपने पर्यवेक्षी अधिकार को बढ़ाने के लिए आपकी पहली दृष्टि के लिए प्रयास कर रहे हैं , आपका आशीर्वाद मांग रहे हैं, (वाहन गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।17।।
Dhaa-[A]ttiissu Te Vihaga-Raaja Mrga-Adhiraaja
Naaga-Adhiraaja Gaja-Raaja Haya-Adhiraajaah |
Sva-Svaadhikaara Mahima-Adhikam-Arthayante
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||17||
(Salutations to Sri Govinda) O Venkatesha ! In this Beautiful Dawn Your Vahanas ( Conveyances ) – Garuda ( the King of Birds ), Lion ( the King of Animals ) , Adisesha ( the King of Snakes ), Airavatha ( the King of Elephants ) and Ucchaisravas ( the King of Horses ) are seeking your benevolent look of approval , seeking Your Blessings for augmenting their greatness in their respective Duties in order to Serve You Better are jostling for your first look to enhance their supervisory authority.(The Vahanas are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.17
सूर्येन्दु भौम बुध वाक्पति काव्यसौरि
स्वर्भानु केतु दिविषत्परिषत्प्रधानाः ।
त्वद्दास दास चरमावधि दासदासाः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१८॥
हे भगवान! नौ ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुद्ध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) के अधिपति आपकी सेवा के लिए तैयार हैं। (श्री गोविंदा को नमस्कार) इस दिव्य भोर में नवग्रह (नौ ग्रह) – सूर्य (सूर्य), इंदु (चंद्रमा), भौम (मंगल), बुद्ध (बुध), वाक्पति (वाणी के देवता या बृहस्पति या बृहस्पति) , काव्या (शुक्र या शुक्र), सौरी (शनि) , स्वर्भानु (राहु), केतु जो देवों की सभा में प्रमुख हैं, आपके सेवक के सेवक हैं (अर्थात् आपके सच्चे भक्तों की सेवा करने को इच्छुक हैं) और अंत तक आपके सेवक के सेवक ही रहेंगे, (नवग्रह गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।18।।
Suurye[a-I]ndu Bhauma Budha Vaak-Pati Kaavya-Sauri
Svarbhaanu Ketu Divissat-Parissat-Pradhaanaah |
Tvad-Daasa Daasa Carama-Avadhi Daasa-Daasaah
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||18||
(Salutations to Sri Govinda) O Lord! the over lords of the nine planets,(Sun, Moon, Mangala, Budha, Guru,Shukra, Sani, Rahu, Ketu) are ready waiting to offer you their service.In this Beautiful Dawn the Navagrahas (Nine Planets) – Surya (Surya), Indu (Moon), Bhauma (Mars), Budha (Mercury), Vakpati (the Lord of Speech or Brihaspati or Jupiter), Kavya (Sukra or Venus), Sauri (Saturn) , Swarbhanu (Rahu), Ketu who are among the chief in the assembly of the Devas (Gods) are Your Servant’s Servant (i.e. willing to serve Your true Devotees) and will remain as Your Servant’s Servant till the end, (The Navagrahas are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill;Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.18
त्वत्पादधूलि भरितस्फुरितोत्तमाङ्गाः
स्वर्गापवर्ग निरपेक्ष निजान्तरङ्गाः ।
कल्पागमाकलनयाकुलतां लभन्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥१९॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) आपके भक्त आपके चरणों की धूल से पवित्र होकर, मोक्ष में अपनी वास्तविक रुचि को भूलकर गहन भक्ति के साथ आपकी सेवा कर रहे हैं और संदेह कर रहे हैं कि उन्हें अगले जन्म में यह अवसर मिलेगा या नहीं। इस सुन्दर भोर में आपके भक्त आपके चरण कमलों की पवित्र धूल ले रहे हैं; पवित्र धूल से भरे उनके माथे आपके प्रतीक चिन्ह का प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके बाहरी शरीर पर आपके पवित्र चिन्ह और आपके चरण कमलों में समर्पण ने उनके आंतरिक शरीर (यानी मन) को स्वर्ग और मुक्ति की इच्छा के प्रति उदासीन बना दिया है, आने वाले युगों के चक्रों में (समय बीतने के संदर्भ में), उनका समर्पण और आपके कमल चरणों तक पहुँचने की इच्छा तीव्र इच्छा में बदल जाएगी, और अंततः आपके निवास को प्राप्त करेगी। (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।19।।
Tvat-Paada-Dhuuli Bharita-Sphurito[a-U]ttamaanggaah
Svarga-Apavarga Nirapekssa Nija-Antar-Anggaah |
Kalpa-[A]agama-[A]akalanaya-[A]akulataam Labhante
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||19||
Your devotees having ben purified by the dust of your feet, are serving you with intense devotion forgetting their real interest in Moksha and doubting whether they could get this opportunity in their next birth or not. (Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are taking the Sacred Dust of Your Lotus Feet; their Foreheads filled with the Sacred Dust are exhibiting Your Insignia, Your Sacred Insignia on their Outer Bodies and Surrender to Your Lotus Feet have made their Inner Bodies (i.e. Mind) Indifferent to Heaven and Desire for Emancipation, In the cycles of the Ages to come (referring to passage of time), their Surrender and Desire to Reach Your Lotus Feet will turn into Intense Yearning, and finally attain Your Abode. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.19
त्वद्गोपुराग्रशिखराणि निरीक्षमाणाः
स्वर्गापवर्गपदवीं परमां श्रयन्तः ।
मर्त्या मनुष्यभुवने मतिमाश्रयन्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२०॥
हे वेंकटेश्वर, मोक्ष साम्राज्य में रुचि रखने वाले लोग आपके मंदिर के विमान (मुकुट) को देखते हैं और इस सांसारिक निवास में यह भूलकर कि वे किस लिए आए हैं , आपकी सेवा करना चाहते हैं। (श्री गोविंदा को नमस्कार) इस उत्कृष्ट भोर में आपके भक्त आपके मंदिर गोपुरम (सजाए गए मंदिर प्रवेश द्वार) के उच्चतम शिखर को देख रहे हैं और इसकी महानता पर विचार कर रहे हैं, उनका सर्वोच्च आश्रय कौन सा है, जो स्वर्ग में पद और मुक्ति की इच्छा से श्रेष्ठ है, वह स्थान कौन सा है जहां हृदय मानव प्राणियों के इस नश्वर संसार में आपके चरण कमलों के आनंद के प्रति समर्पण कर सकता है। (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।20।।
Tvad-Gopura-Agra-Shikharaanni Niriikssamaannaah
Svarga-Apavarga-Padaviim Paramaam Shrayantah |
Martyaa Manussya-Bhuvane Matim-Aashrayante
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||20||
O Venkateswara, people who came interested in Moksha samrajya look at the Vimana (crown) of your temple and want to serve you in this earthly abode forgetting what they came for. (Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are looking at the highest Pinnacle of Your Temple Gopuram (Ornamented Temple Gateway) and contemplating on Its Greatness, Which is their Supreme Refuge, superior to position in Heaven and Desire for Emancipation, Which is a place where the Heart can Surrender to the Bliss of Your Lotus Feet in this Mortal World of Human Beings. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.
श्रीभूमिनायक दयादिगुणामृताब्धे
देवाधिदेव जगदेकशरण्यमूर्ते ।
श्रीमन्ननन्तगरुडादिभिरर्चिताङ्घ्रे
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२१॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस खूबसूरत सुबह में आपके भक्त आपके दर्शन कर रहे हैं, हे श्री देवी और भू देवी के भगवान; आप करुणा और अन्य अमृत जैसे गुणों से भरे हुए महासागर हैं, आप देवताओं के भगवान हैं और इस संसार में भक्तों को शरण देने वाले एक महान अवतार हैं। हे श्री के स्वामी ! भक्त आपके कमल चरणों की पूजा कर रहे हैं जिनकी पूजा अनंत (आदिशेश), गरुड़ और अन्य करते हैं। (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।21।।
Shrii-Bhuumi-Naayaka Daya-[A]adi-Gunna-Amrta-Abdhe
Deva-Adhi-Deva Jagad-Eka-Sharannya-Muurte |
Shriimann-Ananta-Garudda-Adibhir-Arcita-Angghre
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||21||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are having Your Darshan, O Lord of Sri Devi and Bhu Devi; You are an Ocean filled with Compassion and other Nectar-like Qualities, You are the God of the Gods and the One Great Embodiment of Giving Refuge to the Devotees in this World, O the Possessor of Sri, the Devotees are Worshipping Your Lotus Feet which is Worshipped by Ananta (Adisesha), Garuda and Others. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.21
श्रीपद्मनाभ पुरुषोत्तम वासुदेव
वैकुण्ठ माधव जनार्दन चक्रपाणे ।
श्रीवत्सचिह्न शरणागतपारिजात
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२२॥
Shrii-Padma-Naabha Purussottama Vaasudeva
Vaikunnttha Maadhava Janaardana Cakra-Paanne |
Shriivatsa-Cihna Sharanna-[A]agata-Paarijaata
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||22||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are repeating Your various Names – Sri Padmanabha (having Lotus in His Navel), Purushottama, Vasudeva,Vaikuntha (Abode of Sri Vishnu), Madhava, Janardhana and Chakrapani (holding Chakra in His Hand). You are the One with the Mark of Srivatsa on His Chest (where Sri Resides) and the Wish-Fulfiller of all those who take Shelter in Your Lotus Feet. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.22
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस मनोहर भोर में आपके भक्त आपके विभिन्न नामों को दोहरा रहे हैं – श्री पद्मनाभ (उनकी नाभि में कमल है), पुरुषोत्तम, वासुदेव, वैकुंठ (श्री विष्णु का निवास), माधव, जनार्दन और चक्रपाणि (हाथ में चक्र पकड़े हुए)। आप अपने वक्षस्थल पर (जहाँ श्री निवास करती हैं) श्रीवत्स का चिह्न रखने वाले हैं और उन सभी की इच्छाएँ पूरी करने वाले हैं जो आपके चरण कमलो में आश्रय लेते हैं। हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।22।।
कन्दर्पदर्पहर सुन्दर दिव्यमूर्ते
कान्ताकुचाम्बुरुह कुटमल लोलदृष्टे ।
कल्याणनिर्मलगुणाकर दिव्यकीर्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२३॥
Kandarpa-Darpa-Hara Sundara Divya-Muurte
Kaantaa-Kuca-Amburuha Kutt-Amala Lola-Drsstte |
Kalyaanna-Nirmala-Gunna-[A]akara Divya-Kiirte
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||23||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are Contemplating on Your Beautiful Divine Form which though beyond the Three Gunas has the Power to remove the Pride of Kama Deva (of giving rise to attraction in the mind), When Your Incarnation attract Beautiful Women with Lotus-Like Bosom with Your Rolling Glance of Pure Curved Eyes, You are Auspicious and Pure and storehouse of abundant Divine Attributes; Your Divine Glory is limitless. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.23
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस उत्कृष्ट भोर में आपके भक्त आपके सुंदर दिव्य रूप का चिंतन कर रहे हैं, जो तीन गुणों से परे होते हुए भी कामदेव के अभिमान (मन में आकर्षण पैदा करने वाला) को दूर करने की शक्ति रखता है जब आपका अवतार आपकी दिव्य घुमावदार आँखों की झलक से कमल वक्ष स्थल वाली मनोहर स्त्रियों को आकर्षित करता है। आप शुभ, पवित्र और प्रचुर दिव्य गुणों के भण्डार हैं; आपकी दिव्य महिमा अपरंपार है। हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।23।।
मीनाकृते कमठ कोल नृसिंह वर्णिन्
स्वामिन् परश्वथतपोधन रामचन्द्र।
शेषांशराम यदुनन्दन कल्किरूप
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२४॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस दिव्य भोर में आपके भक्त आपके दिव्य अवतारों पर विचार कर रहे हैं – श्री मत्स अवतार (मछली का रूप), श्री कूर्म अवतार (कछुआ का रूप), श्री वराह अवतार (सूअर का रूप), श्री नृसिंह अवतार (मानव-सिंह का रूप) हे भगवान! आपका स्वरूप श्रीपरशुराम अवतार (कुल्हाड़ी चलाने वाला), श्री वामन अवतार (तपस्या से भरपूर), श्री रामचन्द्र अवतार , श्री बलराम अवतार (राम जो आदिशेष का हिस्सा थे), श्री कृष्ण अवतार (यदु वंश में जन्मे पुत्र) और श्री कल्कि अवतार का रूप। हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।24।।
Miina-[A]akrte Kamattha Kola Nrsimha Varnnin
Svaamin Parashv[u]-Atha-Tapodhana Raamacandra|
Shessa-Amsha-Raama Yadu-Nandana Kalki-Ruupa
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||24||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Your Devotees are contemplating on Your Divine Incarnations – Sri Matsa Avatara ( Form of Fish ), Sri Kurma Avatara ( Form of Tortoise ), Sri Varaha Avatara ( Form of Boar ), Sri Nrisimha Avatara ( Form of Man-Lion ) , Your Form O Lord of Sri Parashurama Avatara ( Wielder of Axe ), Sri Vamana Avatara ( Rich in Austerities ), Sri Ramachandra Avatara , Sri Balarama Avatara ( Rama who was Part of Adisesha ), Sri Krishna Avatara ( Son born in Yadu Dynasty ) and the form of Sri Kalki Avatara. (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.24
एला लवङ्ग घनसारसुगन्धितीर्थं
दिव्यं वियत्सरिति हेमघटेषु पूर्णम् ।
धृत्वाऽद्य वैदिक शिखामणयः प्रहृष्टाः
तिष्ठन्ति वेङ्कटपते तव सुप्रभातम् ॥२५॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस सुन्दर भोर में ब्राह्मण आपके दिव्य अनुष्ठान कर रहे हैं; इलायची, लौंग और कपूर से सुगंधित किया गया जल , दिव्य आकाश गंगा नदी से प्राप्त जल जिसे उन्होंने अपने स्वर्ण कलशों में भरा और अब स्वर्ण कलश ले जाने वाले ब्राह्मण जो वैदिक ज्ञान में शिखा-रत्न हैं, दिव्य आनंद से रोमांचित हैं, वे आपके सामने खड़े हैं और गा रहे हैं – हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।25।।
Elaa Lavangga Ghanasaara-Sugandhi-Tiirtham
Divyam Viyat-Sariti Hema-Ghattessu Puurnnam |
Dhrtva-Adya Vaidika Shikhaa-Mannayah Prahrssttaah
Tisstthanti Vengkatta-Pate Tava Suprabhaatam ||25||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Brahmins are performing Your Divine Rituals; With Water made fragrant with Cardamom, Clove and Camphor , the Water obtained from the Divine Aakash Ganga river which they filled in their Golden Pots and now carrying the Pots the Brahmins who are crest-jewel in Vedic Knowledge are thrilled with Divine Joy, They are standing before You and Singing – Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.
भास्वानुदेति विकचानि सरोरुहाणि
सम्पूरयन्ति निनदैः ककुभो विहङ्गाः ।
श्रीवैष्णवास्सततमर्थितमङ्गलास्ते
धामाश्रयन्ति तव वेङ्कट सुप्रभातम् ॥२६॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस खूबसूरत सुबह में सूरज उग रहा है और कमल के फूल खिल रहे हैं, पहाड़ी पक्षी अपनी मधुर चहचहाहट से आकाश को भर रहे हैं, श्री वैष्णव जो सदैव आपकी शुभ उपस्थिति के इच्छुक हैं। आपके निवास में शरण ली है और वे गा रहे हैं – हे वेंकटेश्वर, हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।26।।
Bhaasvaan-Udeti Vikacaani Saroruhaanni
Sampuurayanti Ninadaih Kakubho Vihanggaah |
Shriivaissnnavaas-Satatam-Arthita-Manggalaas-Te
Dhaama-[A]ashrayanti Tava Vengkatta Suprabhaatam ||26||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Sun is rising and the Lotus Flowers are blossoming, The mountain Birds are filling the Sky with their sweet Chirping Sound, The Sri Vaishnavas who are eternally Desirous of Your Auspicious Presence have taken Refuge in Your Abode and they are Singing – Salutations to You, O Venkateswara; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.26
ब्रह्मादयस्सुरवरास्समहर्षयस्ते
सन्तस्सनन्दनमुखास्तवथ योगिवर्याः ।
धामान्तिके तव हि मङ्गलवस्तुहस्ताः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२७॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस खूबसूरत भोर में श्री ब्रह्मा और महर्षियों के साथ अन्य प्रमुख देवता, सनंदन जैसे महान ऋषि और अन्य प्रख्यात योगी हाथों में शुभ वस्तुएं लेकर आपकी उपस्थिति में आपके निवास पर आए हैं, (वे गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।27।।
Brahmaa-[Aa]dayas-Sura-Varaas-Sa-Maharssayas-Te
Santas-Sanandana-Mukhaas-Tav[u]-Atha Yogi-Varyaah |
Dhaama-Antike Tava Hi Manggala-Vastu-Hastaah
Shrii-Vengkattaachala-Pate Tava Suprabhaatam ||27||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn Shri Brahma and other Principal Gods along with the Maharishis, Great Sages like Sanandana and other Eminent Yogis have come to Your Abode in Your Presence with Auspicious Items in their Hands, (They are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.27
लक्ष्मीनिवास निरवद्यगुणैकसिन्धो
संसार सागर समुत्तरणैकसेतो ।
वेदान्तवेद्यनिजवैभव भक्तभोग्य
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥२८॥
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस मनोहर भोर में भक्त आपका आह्वान कर रहे हैं; आप लक्ष्मी के निवास और निष्कलंक दिव्य गुणों के एक महासागर हैं, आप संसार (सांसारिक अस्तित्व का भ्रम) को पार करने के लिए एक पुल हैं; संसार जो एक अनंत महासागर की तरह है, आपकी अपनी दिव्य महिमा केवल वेदांत के पारलौकिक ज्ञान को समझने से ही जानी जाती है; आप जिनकी दिव्य प्रकृति भक्तों द्वारा आनंद लेने के लिए सदैव उपस्थित हैं, (भक्त गा रहे हैं) हे गोविंदा ! वेंकटाचल पर्वत के स्वामी ! आपको सुप्रभात । मैं आपको प्रातः कालीन प्रणाम करता हूँ । आज की सुबह आपके लिए गौरवशाली और मंगलमय हो।।28।।
Lakssmii-Nivaasa Nir-Avadya-Gunnai[a-E]ka-Sindho
Samsaara Saagara Sam-Uttarannai[a-E]ka-Seto |
Vedaanta-Vedya-Nijavaibhava Bhakta-Bhogya
Shrii-Vengkattaacala-Pate Tava Suprabhaatam ||28||
(Salutations to Sri Govinda) In this Beautiful Dawn the Devotees are Invoking You; You , Who are the Abode of Lakshmi and the One Ocean of blemishless Divine Qualities, You , Who are the One Bridge to cross over the Samsara (Delusion of Worldly Existence); the Samsara which is like an endless Ocean, You , Whose Own Divine Glory is only known by understanding the transcendental Knowledge of Vedanta; You , Whose Transcendental Nature is always there to be enjoyed by the Devotees, (The Devotees are Singing) Salutations to You, O Govinda, the Lord of the Venkatachala Hill; Salutations to You in this Beautiful Dawn of Yours.28
इत्थं वृषाचलपतेरिह सुप्रभातं
ये मानवाः प्रतिदिनं पठितुं प्रवृत्ताः ।
तेषां प्रभातसमये स्मृतिरङ्गभाजां
प्रज्ञां परार्थसुलभां परमां प्रसूते ॥२९॥
Ittham Vrssaacala-Pater-Iha Suprabhaatam
Ye Maanavaah Pratidinam Patthitum Pravrttaah |
Tessaam Prabhaata-Samaye Smrtir-Angga-Bhaajaam
Prajnyaam Paraartha-Sulabhaam Paramaam Prasuute ||29||
(Salutations to Sri Govinda) Thus ends the Suprabhatam of the Lord of Vrishachala Hill here, Those Persons who will engage themselves in reciting this everyday with Devotion, And at Dawn will Worship Sri Govinda with Mind and Body and with Intense Devotion, For them the highest Attainment of Spiritual Wisdom will become easy by the Grace of the Supreme awakened in their Hearts.29
(श्री गोविंदा को नमस्कार) इस प्रकार वृषाचल पर्वत के भगवान का सुप्रभातम यहां समाप्त होता है, जो व्यक्ति प्रतिदिन भक्तिपूर्वक इसका पाठ करेंगे और भोर में मन और शरीर और गहन भक्ति के साथ श्री गोविंदा की पूजा करेंगे, उनके हृदय में जागृत परमेश्वर की कृपा से उनके लिए आध्यात्मिक ज्ञान की सर्वोच्च प्राप्ति आसान हो जाएगी।
|| इति श्री वेङ्कटेश्वर सुप्रभातम् सम्पूर्णं ||
Thus ends Venkateshwar Suprabhatam
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