संगति सों सुख ऊपजे, कुसंगति सों दुख होय।
कब कबीर तहं जाइये, साधु संग जहं होय।।
अच्छी संगत करने से सर्वदा सुख प्राप्त होता है। किन्तु कुसंगति करने से दुखों की प्राप्ति होती है। संत जी कहते हैं कि मानव को उसी स्थान पर जाना चाहिए जहां अच्छी संगति प्राप्त हो।