बनिजारे के बैल ज्यों, भरमि फिर्यो चहुँदेश।
खाँड़ लादी भुस खात है, बिन सतगुरु उपदेश।
सौदागरों के बैल जैसे पीठ पर शक्कर लाद कर भी भूसा खाते हुए चारों और फिरा करते है। इसी प्रकार सच्चे सद्गुरु के उपदेश के बिना मनुष्य विषय और प्रपंचो में उलझे हुए नष्ट हो जाते हैं।