हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई ।
मुख तो तौ परि देखिए जे मन की दुविधा जाई ।
ह्रदय के अंदर ही दर्पण है परन्तु वासनाओं की मलिनता के कारण मुख का वास्तविक स्वरूप दिखाई ही नहीं देता। मुख या वास्तविक स्वरूप तो तभी दिखाई पड सकता जब मन का संशय मिट जाए ।
हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई ।
मुख तो तौ परि देखिए जे मन की दुविधा जाई ।
ह्रदय के अंदर ही दर्पण है परन्तु वासनाओं की मलिनता के कारण मुख का वास्तविक स्वरूप दिखाई ही नहीं देता। मुख या वास्तविक स्वरूप तो तभी दिखाई पड सकता जब मन का संशय मिट जाए ।
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