Kabir Ke dohe

 

 

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सांई ते सब होत है, बन्दे से कुछ नाहिं।
राई से पर्वत करे, पर्वत राई माँहि।।

 

कमलिनी का स्थान जल में है , लेकिन वह चन्द्रमा से ऐसा प्रेम करती है कि उसे देखते ही प्रसन्नता से खिल उठती है । जब कि चन्द्रमा उससे लाखों मील दूर आकाश में रहता है । उसी प्रकार जो जिसके प्रेमी है वे दूर रहकर भी उनके पास रहते हैं। प्रेम होने के लिए एक साथ और एक पास होना जरुरी नहीं । प्रेम दूर रह कर भी हो सकता है । 

 

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