साधु सीप समुद्र के, सतगुरू स्वाती बुन्द।
तृषा गई एक बुन्द से, क्या ले करो समुन्द।।
साधु सन्त एवं ज्ञानी महात्मा को समुद्र की सीप के समान जानो और सद्गुरू को स्वाती नक्षत्र की अनमोल पानी की बूंदें जानो जिसकी एक बूंद से ही सारी प्यास मिट गई फिर समुद्र के निकट जाने का क्या प्रयोजन। सदगुरू के ज्ञान उपदेश से मन की सारी प्यास मिट जाती है।