तू तू करता तू भया, मुझमें रही न हूं।
बारी तेरे नाम पर, जित देखूं तित तूं।।
हे परमात्मा! तुम्हारे नाम का सुमिरन करते करते मैं तुम जैसा हो गया हूं। अब मेरे मन में सांसाकिर वासना, ममता एवं तृष्णा नहीं है। मैं तेरे अविनाशी नाम ज्ञान के ऊपर न्यौछावार हूं। मेरी दृष्टि जिधर भी घूमती है उधर तुम्हारा ही स्वरूप दिखायी देता है।