यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहिं।
सीस उतारे भुइ धरे, तब घर पैठे माहिं।।
यह मौसी का घर नहीं है कि जिसमें प्रवेश करने पर पूर्ण आदर और सम्मान प्राप्त होगा। यह प्रेमरूपी घर है। इस प्रेम रूपी घर में प्रवेश करने के लिए कठिन साधना की आवश्यकता होती है। अपना मस्तक काट कर धरती पर चढ़ाना होता है तब भगवान अपने घर में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं अर्थात् तन मन, सब कुछ प्रभु के चरणों में अर्पित करो।