निज सुख आतम राम है, दूजा दुख अपार।
मनसा वाचा करमना, कबीर सुमिरन सार।।
अपना सुख आत्मारूपी राम है बाकी संसार में सभी दुख रूप हैं मन, वचन और कर्म से आत्मा राम का सुमिरन करने के लिए कबीर दास जी कहते हैं कि सुमिरन ही समस्त पदार्थों का सार है।
निज सुख आतम राम है, दूजा दुख अपार।
मनसा वाचा करमना, कबीर सुमिरन सार।।
अपना सुख आत्मारूपी राम है बाकी संसार में सभी दुख रूप हैं मन, वचन और कर्म से आत्मा राम का सुमिरन करने के लिए कबीर दास जी कहते हैं कि सुमिरन ही समस्त पदार्थों का सार है।
Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.