Kabirdas ke Dohe Part 4 with hindi meaning

 

 

Previous      Menu      Next

 

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई ।

राजा परजा जेहि रुचे सीस देहि ले जाई ।

 

कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम कहीं खेतों में नहीं उगता और ना ही प्रेम कहीं बाजार में बिकता है। जिसको प्रेम चाहिए उसे अपना शीश क्रोध, काम, इच्छा, भय त्यागना होगा। चाहे कोई राजा हो या साधारण प्रजा, यदि प्यार पाना चाहते हैं तो वह आत्म बलिदान से ही मिलेगा । त्याग और समर्पण के बिना प्रेम को नहीं पाया जा सकता । प्रेम एक गहन भावना है, कोई खरीदी या बेचे जाने वाली वस्तु नहीं ।

 

Next

 

 

By spiritual talks

Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!