Kabirdas ke Dohe Part 4 with hindi meaning

Kabirdas ke dohe Part 4 | Kabir ke dohe in hindi with meaning | Sant kabir ke Dohe | Kabirdas ke dohe Amritvani | कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित | संत कबीरदास के दोहे | कबीर अमृत वाणी | कबीर साखियाँ |Kabir Ke Dohe | Kabir Amritwani | कबीर दास के लोकप्रिय दोहे | Kabir Ke Dohe In Hindi | संत कबीर दास के दोहे अर्थ सहित

Subscribe on Youtube: The Spiritual Talks

Follow on Pinterest: The Spiritual Talks

 

 

 

Kabirdas ke dohe Part 4 Hindi arth sahit

 

 

Next 

 

पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल।

पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया लिख लिख भया जू ईंट । 

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात । 

पाछे दिन पाछे गए हरि से किया न हेत । 

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। 

पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत । 

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय । 

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई । 

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय।

तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार । 

तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ । 

तरवर तास बिलम्बिए, बारह मांस फलंत । 

तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी । 

तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय । 

ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग ।

तू तू करता तू भया, मुझमें रही न हूं।

पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष बनराय।

पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजौं पहार।

तिमिर गया रवि देखते, कुमति गयी गुरू ज्ञान।

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान । 

यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहिं।

यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ। 

या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत। 

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । 

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।

ऊंचे कुल क्या जनमिया जे करनी ऊंच न होय।

चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये । 

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय । 

गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ काढ़ै खोट।

गारी मोटा ज्ञान, जो रंचक उर में जरै। 

गारी ही से उपजै, कलह कष्ट औ मीच। 

गाँठी होय सो हाथ कर, हाथ होय सो देह।

ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार । 

नैंनो की करि कोठरी, पुतली पलंग बिछाय।

निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें । 

निज सुख आतम राम है, दूजा दुख अपार।

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए । 

नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय । 

नैना अंतर आव तू, ज्यूं हौं नैन झंपेउ। 

Next

 

 

By spiritual talks

Welcome to the spiritual platform to find your true self, to recognize your soul purpose, to discover your life path, to acquire your inner wisdom, to obtain your mental tranquility.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!