Uddhav Gita | उद्धव गीता | भगवान कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश | श्रीमदभागवतम
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भगवान श्री कृष्ण ने इस धरती पर अपनी लीला समापन करने के पूर्व अपने परम मित्र और भक्त उद्धव महाराज को अंतिम उपदेश दिया जिसे उद्धव गीता के नाम से जाना जाता है। श्री कृष्ण और उद्धव जी के बीच हुआ यह संवाद श्रीमद भागवत महापुराण का अंग है जिसका वर्णन भागवत के ग्यारहवे स्कन्द में है । जैसे भौंरा विभिन्न पुष्पों से उनका सार – सार मधु संग्रह कर लेता है , वैसे ही स्वयं वेदों को प्रकाशित करने वाले भगवान श्री कृष्ण ने भक्तों को संसार से मुक्त करने के लिए यह ज्ञान और विज्ञान का सार निकाला है । उन्हीं ने जरा – रोगादि भय की निवृत्ति के लिए क्षीर – समुद्र से अमृत भी निकाला था तथा इन्हें क्रमशः अपने निवृत्ति मार्गी और प्रवृत्ति मार्गी भक्तों को पिलाया , वे ही पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण सारे जगत के मूल कारण हैं । भगवान शंकर आदि योगेश्वर भी सच्चिदानंद स्वरूप भगवान् श्री कृष्ण के चरणों की सेवा किया करते हैं । उन्होंने स्वयं श्री मुख से अपने परम प्रेमी भक्त उद्धव के लिए इस ज्ञानामृत का वितरण किया । यह ज्ञानामृत आनंद महासागर का सार है । जो श्रद्धा के साथ इसका सेवन करता है , वह तो मुक्त हो ही जाता है , उसके संग से सारा जगत मुक्त हो जाता है ।